भोपाल: मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नसबंदी को लेकर स्वास्थ्य कर्मचारियों को जारी किया गया फरमान वापस ले लिया है। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने शुक्रवार को इंडिया टीवी से कहा नसबंदी का लक्ष्य पूरा न करने पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश सरकार ने वापस ले लिया है। उन्होनें बताया कि पहले यह आदेश गलती से रूटीन में निकला था लेकिन अब यह आदेश निरस्त कर दिया गया है। उन्होनें यह भी कहा कि आगे यह आदेश लागू होने का सवाल ही नहीं उठता है।
मध्यप्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की स्टेट डायरेक्टर छवी भारद्वाज को भी हटा दिया है जिन्होंने पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सूचित करते हुए आदेश जारी किया था कि यदि वे 2019-20 में नसबंदी के लिए एक भी आदमी को समझाने में विफल रहते हैं तो उन्हें अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा।
क्या था आदेश?
दरअसल, परिवार नियोजन के अभियान के तहत हर साल जिलों को कुल आबादी के 0.5 फीसदी नसबंदी ऑपरेशन का टारगेट दिया जाता है। लेकिन बीते 5 सालों में मध्य प्रदेश नसबंदी का यह लक्ष्य पूरा करने में असमर्थ रहा है जिसके चलते राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज ने इसपर नाराजगी जताते हुए सभी कलेक्टर और सीएमएचओ को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि प्रदेश में मात्र 0.5 प्रतिशत पुरुष नसबंदी के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। अब विभाग के पुरुषकर्मियों को जागरूकता अभियान के तहत परिवार नियोजन का टारगेट दिया जाए।
कमलनाथ सरकार की नसबंदी आदेश पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए लिखा था "मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू (Male Multi Purpose Health Workers) के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है।"
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