मध्य प्रदेश: न कर्ज माफी हुई और न मुआवजा मिला, अब पुलिस के साए में मिल रही खाद
दरअसल, 10 दिन में 2 लाख तक की कर्ज माफी 11 महीने बाद भी अधूरी है तो अब किसानों को खाद की ऐसी किल्लत के कमलनाथ सरकार की पुलिस को पहरा देना पड़ रहा है।
भोपाल: आधी-अधूरी कर्ज माफी के बाद अब मध्यप्रदेश में किसानों को खाद की किल्लत हो रही है। दरअसल, 10 दिन में 2 लाख तक की कर्ज माफी 11 महीने बाद भी अधूरी है तो अब किसानों को खाद की ऐसी किल्लत के कमलनाथ सरकार की पुलिस को पहरा देना पड़ रहा है। हालांकि सरकार के कृषि मंत्री का का तर्क है कि पिछली बीजेपी सरकार की तुलना में कांग्रेस 30 से 40 फीसदी ज्यादा भंडारण कर रही है। लेकिन बीजेपी का आरोप है कि कर्ज माफी और मुआवजे में नाकाम कांग्रेस सरकार अब बुनियादी खाद की जरूरत पूरी नहीं कर किसानों की बद्दुआएं ले रही है।
किसानों को लगा था कि 15 साल बाद हुए सत्ता परिवर्तन के चलते उनके हालात भी बदलेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक साल होने को हैं ना 2 लाख की कर्ज माफी हुई, ना फसल बर्बाद का मुआवजा मिला, ना ही फसल बीमा मिला। यह हाल भोपाल से 40 किलोमीटर दूर बैरसिया का है। यहां किसानों को खाद भी मुश्किल से मिल रही है। आपको बता दें कि किसान रोटी लेकर लाइन में खड़े हैं ताकि उन्हें खाद मिले। कई बार तो उन्हें खाद की आस में खड़े-खड़े काफी इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा किसान के पास कितना भी खेत हो, उसे सिर्फ 2 बोरी यूरिया मिलेगी, जबकि सरकार ने एक एकड़ पर 2 बोरी की बात तय की है।
दरअसल मध्यप्रदेश में रबी की फसल के लिए सर्वाधिक मांग यूरिया की रहती है, जिसका छिड़काव नवंबर से शुरू होकर जनवरी तक गेहूं की फसल समय चना और सब्जियों में किया जाता है। यही वजह है कि किसान जिन्होंने गेहूं, चना, सरसों, मटर बो दिया है वे लंबी लाइनों में सोसाइटी के सामने यूरिया के छिड़काव के लिए यूरिया के इंतजार में नजर आने लगे हैं। इसी यूरिया की कमी के चलते जहां हालात बिगड़ने लगे हैं वहीं हफ्ते भर में ही रायसेन, सीहोर, विदिशा, राजगढ़, भिंड और सागर समय दर्जनभर से ज्यादा जिलों में यूरिया को लेकर झड़पें सामने आ रही हैं।
यूरिया की कमी से जूझते किसान परेशान हैं बता रहे हैं कि सरकारी यूरिया अब तक नहीं मिल रहा है लेकिन ब्लैक में यूरिया चारों तरफ मौजूद है। बैरसिया के किसान ने बताया 265 रुपये बोरी वाला हाथ का बोरा ब्लेक में साढे 400 से ऊपर मिल रहा है। आपको बता दें कि केंद्र ने रबी की फसल की 18 लाख मीट्रिक टन की मांग को घटाकर 15 लाख 40 हजार मीट्रिक टन तय किया है। इस हिसाब से 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक केंद्र से 8 लाख 75 हजार मीट्रिक टन की मांग की गई। 21 नवंबर तक महज़ 5 लाख 92 हजार मीट्रिक टन ही मिला।
इसमें से भी 2 लाख 14 हजार मीट्रिक टन अभी छतरपुर, खण्डवा, होशंगाबाद, सतना, शाजापुर, छिंदवाड़ा, इंदौर, जबलपुर, नरसिंहपुर, हरदा तक पहुंचाने में कम से कम दो दिन का वक्त लगेगा। इसके अलावा 75 हजार मीट्रिक टन 30 नवंबर तक आ सकती है। इस हिसाब से नवंबर तक डेढ़ लाख मीट्रिक टन से भी ज्यादा यूरिया की मध्य प्रदेश में कमी का अंदाजा है। यही वजह है कि मध्य प्रदेश में यूरिया की किल्लत आन पड़ी है।
वहीं मध्य प्रदेश सरकार जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा का कहना है यूरिया की किल्लत का पूरा ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ रही है कह रही है केंद्र सरकार ने तीन लाख मैट्रिक टन यूरिया अब तक मध्य प्रदेश को नहीं दिया है भले ही प्रदेश में संगीनों के साए में खाद बंट रही हो लेकिन सरकार के कृषि मंत्री सचिन यादव ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा किसानों का ख्याल रखते हुए रबी की फसल के लिए पिछली बीजेपी सरकार की तुलना में कांग्रेस 30 से 40 फीसदी ज्यादा भंडारण कर रही है।
पूर्व मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंडिया टीवी को बताया कर्ज माफी के वादे के साथ उतरी कांग्रेस सरकार ने अब तक कर्ज माफ कर पाई है, ना लाखों किसानों की अतिवृष्टि के चलते हुई बर्बाद फसलों का मुआवजा दे पाई है। उन्होंने कहा कि अब खाद के लिए संगीनों के साए में लाइन लग रही है यह सरकार का नकारापन है।