नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा के मौजूदा सत्र के दौरान पिछले 20 साल में सबसे अधिक कामकाज हुआ है। निचले सदन में मंगलवार तक कामकाज का स्तर 128 प्रतिशत रहा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने यह बात कही है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को सदन को बताया कि सदस्यों ने 17 घंटे आम बजट, 13 घंटे रेलवे के लिये अनुदान मांगों और 7.44 घंटे सड़क एवं परिवहन के लिये अनुदान मांगों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि सदस्यों ने ग्रामीण विकास और कृषि मंत्रालयों के लिये अनुदान मांगों पर 10.36 घंटे तथा खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय से संबंधित मुद्दों पर 4.14 घंटे चर्चा की। पिछले कुछ दिनों से लोकसभा में शून्यकाल नहीं होने के चलते बिरला ने सदस्यों को विशेष महत्व के मुद्दे शाम करीब छह बजे उठाने की अनुमति दी। बृहस्पतिवार को विस्तारित शून्यकाल हुआ जिसमें बहुत से सदस्यों ने अपने तात्कालिक लोक महत्व के मुद्दे उठाए।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार लोकसभा अपने तय समय से अधिक काम कर रही है और उसने विधायी कार्यों को पूरा करने के लिये दो बार मध्यरात्रि तक काम किया है। रिसर्च ने कहा, "इस सत्र में लोकसभा अपने तय समय से अधिक काम कर रही है। 16 जुलाई 2019 तक लोकसभा के कामकाज का स्तर 128 प्रतिशत रहा, जो पिछले 20 वर्षों में किसी भी सत्र में सबसे अधिक है।
इसी प्रकार राज्यसभा में भी अपेक्षाकृत अधिक कामकाज हुआ है, जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन लोकसभा की तरह बहुमत में नहीं है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार उच्च सदन के कामकाज का स्तर मंगलवार तक 98 प्रतिशत रहा। संसद का सत्र 17 जून से शुरू हुआ था और यह 26 जुलाई को समाप्त होगा।
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