नई दिल्ली. भारतीय रेल ने कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिये लागू लॉकडाउन की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे करीब चार लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य पहुंचाया और इसके लिए एक मई से 366 “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनों का संचालन किया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि 287 ट्रेन अपने गंतव्य तक पहुंच चुकी हैं जबकि 79 ट्रेन अभी रास्ते में हैं। अधिकारियों ने कहा कि इन 287 ट्रेनों में से 127 ट्रेन उत्तर प्रदेश के लिये थीं, 87 बिहार, 24 मध्य प्रदेश, 20 ओडिशा, 16 झारखंड, चार राजस्थान, तीन महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के लिये दो-दो और आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के लिये एक-एक ट्रेन थीं।
इन ट्रेनों से तिरुचिरापल्ली, तीतलागढ़, बरौनी, खंडवा, जगन्नाथपुर, खुर्दा रोड, छपरा, बलिया, गया, पूर्णिया, वाराणसी समेत कई शहरों के प्रवासियों को उनके घरों तक पहुंचाया गया। प्रत्येक श्रमिक ट्रेन में 24 कोच हैं जिनमें से प्रत्येक कोच में 72 सीट हैं। सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने के लिये हालांकि प्रत्येक कोच में सिर्फ 54 यात्रियों को ही सफर करने दिया जा रहा है और बीच वाली बर्थ किसी को नहीं दी जा रही।
रेलवे ने विशेष ट्रेनों पर आने वाली लागत की घोषणा अभी नहीं की है लेकिन अधिकारियों ने संकेत दिए कि रेलवे ने ऐसी प्रत्येक सेवा पर करीब 80 लाख रुपये खर्च किए। सरकार ने पूर्व में कहा था कि इन सेवाओं पर आने वाली लागत राज्यों के साथ 85:15 के अनुपात में साझा की जाएगी। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की सेवाएं जबसे शुरू हुई हैं सबसे ज्यादा ट्रेन गुजरात से रवाना हुई हैं जिसके बाद केरल का नंबर है।
सबसे ज्यादा ट्रेनें बिहार और उत्तर प्रदेश पहुंची हैं। इससे पहले किराया वसूलने को लेकर रेलवे विपक्षी दलों के निशाने पर आ गया था। रेलवे ने अपने दिशानिर्देश में कहा है कि ट्रेनों का संचालन तभी होगा जब उनमें 90 प्रतिशत सीटें भरी होंगी और “राज्यों को टिकट का शुल्क वसूलना होगा।”
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