सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर हंगामा, कई इलाकों में धारा 144 लागू
उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने की सदियों पुरानी परंपरा पिछले महीने हटा दी थी और सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी थी।
तिरूवनंतपुरम: केरल में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच भगवान अय्यप्पा के प्रसिद्ध मंदिर के कपाट बुधवार को पांच दिन की मासिक पूजा के लिए खोल दिए गए।‘स्वामिये सरनाम अय्यप्पा’ के मंत्रों के उच्चारण के बीच मुख्य पुजारी उन्नीकृष्णन नंबूदरी और तंत्री के. राजीवरू ने शाम 5 बजे मंदिर के गर्भगृह के कपाट खोले और दीए जलाए। रीति रिवाजों के मुताबिक, आज शाम पूजा नहीं की जाएगी और मंदिर रात साढ़े दस बजे बंद कर दिया जाएगा।
महिलाओं की एंट्री को लेकर प्रदर्शन अभी भी जारी है। सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला भक्तों ने निलाकल में मासिक धर्म की आयु वाली महिलाओं और लड़कियों को रोकने के लिए रास्ते में वाहन रोककर देखे और उन्हें आगे नहीं जाने दिया। इसके बाद तनाव और बढ़ गया है। उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने की सदियों पुरानी परंपरा पिछले महीने हटा दी थी और सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी थी। उस आदेश के बाद से आज पहली बार मंदिर के द्वार खुलेंगे।
हालात को सुलझाने के लिए त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) के अंतिम प्रयास बेकार रहे जहां पंडालम शाही परिवार और अन्य पक्षकार इस मामले में बुलाई गयी बैठक को छोड़कर चले गये। शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने के मुद्दे पर बातचीत करने में बोर्ड की अनिच्छा से ये लोग निराश दिखे। इस बीच भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला श्रद्धालुओं ने मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर जाकर उन महिलाओं को मंदिर से करीब 20 किलोमीटर पहले निलाकल में रोकने का प्रयास किया जिनकी आयु 10 से 50 साल है।
वीडियो में देखिए कैसे पुलिसवालों ने किया गाड़ियों को क्षतिग्रस्त-
- केरल: पुलिसवालों ने पांपा में पार्क गाड़ियों को किया क्षतिग्रस्त। सबरीमाला में महिलाओं की एंट्री को लेकर जारी है हंगामा। केरल के निल्लकल, पम्बा, एल्वाकुलम, सन्निधनम में धारा 144 लागू।
- कपाट खुलने के बाद सबरीमाला मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। आज रात 10 बजे तक श्रद्धालु कर सकेंगे पूजा।
- भारी विरोध के बीच सबरीमाला मंदिर के कपाट खुले, सबरीमाला में महिलाओं की एंट्री को लेकर अभी भी जारी है प्रदर्शन।
-सबरीमाला मंदिर खुलने में करीब 1 घंटे से भी कम वक्त बचा है लेकिन सबरीमाला के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर अबतक तनाव बना हुआ है
-सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के विरोध में कांग्रेस नेताओं ने किया प्रदर्शन
-सबरीमाला मंदिर में विरोध झेलने के बाद आधे रास्ते से घर वापस लौटी महिला श्रद्धालु माधवी
-सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के खिलाफ में महिलाएं कर रही हैं प्रदर्शन
-सबरीमाला मंदिर मसले को लेकर विरोध प्रदर्शन पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, ‘’इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है, लेकिन अब आप कह रहे हैं कि यह हमारी परंपरा है। तीन तलाक भी इसी तरह की परंपरा थी, लेकिन जब इसे खत्म किया गया तो सब लोग प्रशंसा कर रहे थे। वहीं हिंदू अब सड़कों पर आ गए हैं।‘’
-दर्शन करने आई लिबी नाम की महिला को भक्तों ने पत्तिनमतिट्टा बस स्टेण्ड पर जबरन रोका, पुलिस ने सुरक्षा घेरे में लिबी को बाहर निकाला और पुलिस के वाहन में सुरक्षित स्थान पर भेजा
-सबरीमाला मंदिर मसले को लेकर महिलाओं के विरोध प्रदर्शन पर बीजेपी सांसद उदित राज ने कहा, ‘’मैंने समानता के लिए लड़ाई देखी है, दासता और असमानता के लिए नहीं। एक ओर, देश में पुरुषों द्वारा अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई चल रही है तो दूसरी तरफ, महिलाएं ही अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के खिलाफ लड़ रही हैं।‘’
-सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर पंबा बेस कैंप के पास लोगों का विरोध प्रदर्शन शुरु
-सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है
-निलाकल और पम्पा बेस पर करीब 1000 से अधिक सुरक्षाकर्मी, जिनमें 800 पुरुष और 200 महिलाएं शामिल हैं
-महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने के सुप्रीम फैसले के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। उनका कहना है कि वे परंपरा को तोड़ने के पक्ष में नहीं हैं
-निलाकल बेस कैंप पर सैकड़ों भक्त ठहरे हुए हैं, वहां प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए भारी मात्रा में पुलिस फोर्स तैनात की गई है
-किसी भी तनाव से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। मंदिर परिसर से करीब 20 किलोमीटर दूर निलाकल बेस कैंप पर सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी है
-मंदिर में दरवाजे सभी उम्र की महिलाओं के लिए खोलने को लेकर वहां लोग विरोध कर रहे हैं। इसके चलते आज भी काफी हंगामा होने के आसार हैं
‘स्वामीया शरणम् अयप्पा’ के नारों के साथ भगवान अयप्पा भक्तों ने इस आयु वर्ग की लड़कियों और महिलाओं की बसें और निजी वाहन रोके और उन्हें यात्रा नहीं करने के लिए मजबूर किया। इन महिलाओं में पत्रकार भी थीं, जिन्होंने दावा किया कि वह अपने कवरेज के काम से मंदिर जा रही हैं और उनका मंदिर में प्रवेश का कोई इरादा नहीं है। उनका ऐसा भी कुछ करने की मंशा नहीं है जिससे अयप्पा भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हों।
सबरीमला जाने के रास्ते में निलाकल में भारी तनाव के बीच एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘मासिक पूजा के लिए मंदिर जब खुलेगा तो 10 से 50 साल की आयु की किसी महिला को निलाकल से आगे और मंदिर में पूजा-अर्चना की इजाजत नहीं दी जाएगी।’’ इस अति संवेदनशील विषय पर कठिन समय का सामना कर रहे मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंदिर में प्रवेश से श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। मेरी सरकार सबरीमला के नाम पर कोई हिंसा नहीं होने देगी।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘श्रद्धालुओं को सबरीमला जाने से रोकने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’’ उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर समीक्षा की मांग नहीं करने के सरकार के फैसले पर फिर से विचार किये जाने की संभावना खारिज कर दी। विजयन ने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय के कहे का पालन करेंगे।’’
इस बीच मंदिर का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड की बैठक के बाद पंडालम शाही परिवार के सदस्य शशिकुमार वर्मा ने कहा, ‘‘हम चाहते थे कि आज समीक्षा याचिका दाखिल करने पर फैसला हो, लेकिन बोर्ड ने कहा कि 19 अक्टूबर को टीडीबी की अगली बैठक में ही इस पर बातचीत हो सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी चाहते हैं कि सबरीमला को युद्ध क्षेत्र नहीं बनाया जाए।’’
बोर्ड के अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने बैठक के असफल होने के तर्कों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘वे चाहते थे कि पुनर्विचार याचिका तत्काल दायर कर दी जाए। लेकिन उच्चतम न्यायालय 22 अक्टूबर तक बंद है। जब उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया है तो बोर्ड क्या कर सकता है? लेकिन बोर्ड इस मुद्दे के समाधान के लिए उनसे बात करता रहेगा।’’