आसां नहीं है पाकिस्तान में हिंदू का रहना, यह पढ़कर रो पड़ेंगे आप
सरहद के उस पार भी इंसा रहा करते थे कभी, धर्म के ठेकेदारों ने उन्हें हैवान बना दिया। बेबसी और लाचारी क्या होती है यह उस इंसान से पूछिए जिसे यह भी नहीं
नई दिल्ली: “सरहद के उस पार भी इंसा रहा करते थे कभी, धर्म के ठेकेदारों ने उन्हें हैवान बना दिया।” बेबसी और लाचारी क्या होती है यह उस इंसान से पूछिए जिसे यह भी नहीं मालूम कि आखिर उसका गुनाह क्या था? क्या उसका गुनाह सिर्फ इतना सा था कि वो हिंदू था? क्या उसका गुनाह यह था कि उसने एक कट्टर मुस्लिम राष्ट्र में अपने आप को महफूज मानने की भूल की थी? इन सवालों के कई जवाब हो सकते हैं, लेकिन कोई भी जवाब ऐसा नहीं होगा जो उस व्यक्ति के उन जख्मों पर मरहम लगा दे जो उसे एक पाक मानी जाने वाली सरजमीं पर मिले हैं। सरहद पार इंसानियत इस कदर बेपर्दा हो चुकी है कि अब एक हिंदू पाकिस्तान की उस सरजमीं पर नहीं रहना चाहता है जहां उसने कभी बड़ी आरजू से अपना मकां बनाया था।
अगर आप इंसान हैं और आपमें इंसानियत जिंदा है तो यकीनन हमारी खबर पढ़कर आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे। हम अपनी खबर में आपको पाकिस्तान के मिथी में रहने वाले एक हिंदू परिवार की वो आपबीती बयां करने की कोशिश करेंगे जिसे सुनकर किसी का भी खून खौल जाए और वो बरबस कह उठे कि क्या यही है पाकिस्तान।
पीड़ित हिंदू की कहानी उसी की जुबानी, “मुझे माफ कीजिएगा अगर मेरे शब्द कहीं बहक जाएं और अगर संभव हो तो मुझे दुरूस्त भी कीजिएगा क्योंकि मैं एक अनपढ़ पृष्ठभूमि से आता हूं।”
पाकिस्तान में रहने वाले एक हिंदू की दर्द भरी दास्तां-
“मैं एक हिंदू हूं, मैं कभी मिथी में रहा करता जो पाकिस्तान का एकलौता हिंदू कस्बा है। साल 2005 की बात है। दिसंबर के महीने में मेरे पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति की बेटी की शादी थी। उन्होंने हमसे शादी में आने का आग्रह किया था इसलिए मैं अपने पूरे परिवार के साथ उस शादी में गया, यह जानते हुए भी कि पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों की क्या स्थिति है। मैं अपनी पत्नी के साथ वहां पर गया। बिरादरी के बाहर का होने के नाते कोई भी हमसे बात नहीं कर रहा था। हमने उनके रिवाज को देखा, दूल्हा और दुल्हन को उपहार दिया। हमने डिनर करने के बाद वहां से जल्द ही निकलने की योजना बनाई क्योंकि अगले ही दिन मेरे बच्चों की परीक्षाएं थीं।”
हिंदू जानकर मुझ पर हुआ हमला-
“हम बेसमेंट की तरफ जा रहे थे इतने में ही पीछे से किसी ने मेरी गरदन पर जोरदार हमला किया। यह हमला इतना जोरदार था कि मैं पीछे नहीं देख पाया कि मुझपर किसने हमला किया। मैं बेहोश हो गया। जब मुझे होश आया तो मैने अपने आप को एक रेगिस्तानी इलाके में पाया जहां कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे भयानकर दर्द हो रहा था, जैसे मुझे किसी ने बुरी तरह पीटा हो। मैं पूरे दिन ठीक से खड़ा नहीं हो पाया। मैंने किसी तरह खुद को संभाला और अपनी घर की तरफ बढ़ा। मैं अगले दिन अपने घर पहुंच पाया।”
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