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Hindi News भारत राष्ट्रीय Coronavirus: अमेरिका की गलती से सीखकर भारत रोक सकता है महामारी को फैलने से, बस देशवासियों को करना होगा ये काम

Coronavirus: अमेरिका की गलती से सीखकर भारत रोक सकता है महामारी को फैलने से, बस देशवासियों को करना होगा ये काम

भारत में जनता कर्फ्यू की तारीफ करते हुए डा. अमितेष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम बहुत ही सकारात्मक कदम है और इसे कुछ और दिनों तक लागू किया जाना चाहिए।

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नई दिल्‍ली। यदि भारत कोरोना वायरस महामारी के प्रति अमेरिका की गलती और तैयारी से कुछ सीख ले तो शायद गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है। यह कहना है अमेरिका के कैलिफोर्निया में काम कर रहे भारतीय डॉक्‍टर अमितेष आनंद का। अमितेष ने बताया कि अमेरिका ने जो गलती की है उसे भारत को नहीं दोहराना चाहिए। जब समस्‍या बड़ी हो गई तब अमेरिका ने एक्‍शन लिया। अभी इस मामले में भारत एक कदम पीछे है। वहां मामले अभी कम हैं। यदि भारत और इसके लोग संकल्‍प ले लें और गंभीरत से सोशल डिस्‍टेंसिंग और लॉकडाउन का पालन करें तो शायद भारत अमेरिका वाले चरण में पहुंचने से बच सकता है।

भारत में जनता कर्फ्यू की तारीफ करते हुए डा. अमितेष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम बहुत ही सकारात्‍मक कदम है और इसे कुछ और दिनों तक लागू किया जाना चाहिए। अगर भारत में अगले दो हफ्ते तक इसी तरह का जनता कर्फ्यू रहे और प्रत्‍येक देशवासी इसका गंभीरता से पालन करे तो कोरोना वायरस की इस समस्‍या को बढ़ने से रोक जा सकता है और इस अवधि में वैज्ञानिक भी इसके लिए कोई न कोई इलाज जरूर खोज निकालने में सफल होंगे। अगले दो हफ्तों तक अगर जनता कर्फ्यू लगा दें तो अप्रैल मध्‍य तक भारत में स्थिति काफी हद तक सुधर सकती है।

अमेरिका से एक गलती हुई, जिसका परिणाम उसे आज इतनी ज्‍यादा संख्‍या में संक्रमित लोगों के रूप में भुगतना पड़ रहा है। उन्‍होंने बताया कि अमेरिका ने कोरोना वायरस को शुरुआत में गंभीरता से नहीं लिया और अमेरिकी प्रशासन तब सचेत हुआ जब बीमारी दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई। जब अमेरिका में मामले बढ़ने लगे, तब प्रशासन ने अपनी तैयारियां शुरू कीं। यदि एक महीना पहले ही सजग होते तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती।

डा. अमितेष आनंद ने कहा कि अमेरिका से गलती यह हुई कि उसे एक महीने पहले से पता था कि चीन में क्‍या हो रहा है। तब भी उसने इंतजार किया, जब समस्‍या देश में आ गई तब हमने उस पर कार्रवाई शुरू की। अभी अमेरिका पूरी तरह से लॉकडाउन है। पहले लोग घबराए हुए थे, वो ज्‍यादा से ज्‍यादा सामान खरीदकर घर में स्टोर कर रहे थे। लेकिन अब पिछले दो दिनों से स्थिति शांत है लोग भी समझ गए हैं और वो घर से केवल जरूरी सामान लेने के लिए ही बाहर निकल रहे हैं।

लोग स्‍टोर के बाहर लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। स्‍टोर के अंदर दो-तीन लोगों को ही जाने दिया जा रहा है, ग्रुप में लोगों को जाने की अनुमति नहीं है। लोग ग्रुप में आने से बच रहे हैं। सोशल डिस्‍टेंसिंग और डायग्‍नोस्टि में अमेरिका अब अच्‍छा काम कर रहा है। लोग स्‍वयं अनुशासन का पालन कर रहे हैं और सरकार के निर्देशों का गंभीरता से पालन कर रहे हैं।

लोग पार्क में भी घूमने जा रहे हैं तो आपस में दूरी बनाकर रख रहे हैं। डा. अमितेष ने बताया कि अभी हम केवल उन्‍हीं का टेस्‍ट कर रहे हैं, जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं। हमें यह पता नहीं है कि कितने मामले हैं। अमेरिका में इतने अधिक संख्‍या में संक्रमित लोगों के पाए जाने पर उन्‍होंने कहा कि हम अब अधिक लोगों की जांच कर रहे हैं, इसलिए संख्‍या ज्‍यादा सामने आ रही है। यदि भारत ने जांच करने की रफ्तार और दायरा नहीं बढ़ाया तो उसे खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उन्‍होंने बताया कि अमेरिका ने एक नए प्‍लेटफॉर्म को मंजूरी दी है, जिसमें केवल 45 मिनट के भीतर टेस्‍ट के परिणाम कन्‍फर्म किए जा सकते हैं।

डा. अमितेष ने कहा कि सोशल डिस्‍टेंसिंग के दो पहलू एक वैज्ञानिक और दूसरा लॉजिस्टिकल है। अगर हम किसी के पास न जाएं, या किसी से न मिलें तो यह वायरस आगे नहीं बढ़ेगा यह वैज्ञानिक पहलू है। अगर हम इसके फैलाव को एक सीमा तक रोक दें तो हमारे अस्‍पतालों पर दवाब कम होगा और वो बेहतर काम कर सकेंगे।  डा. अमितेष ने यह भी कहा कि युवाओं में यह गलतफहमी है कि यह वायरस उन्‍हें नुकसान नहीं पहुंचाएगा। ऐसा नहीं है कोरोना वायरस सभी उम्र और वर्ग के लोगों को समान रूप से प्रभावित करता है।

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