नई दिल्ली: विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर का नाम सुनते ही मन वहाँ जाने को बेताब हो जाता है। यह पावन यात्रा अपने धार्मिक महत्व के लिए दुनियाभर में जानी जाती है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को कई अद्वितीय अनुभव मिलते हैं, वहीं मीलों पैदल सफर भी तय करना पड़ता है। 8 जून से कैलाश-मानसरोवर यात्रा शुरू होगी। उत्तराखंड से होकर जाने वाले परंपरागत मार्ग के साथ ही सिक्किम के नाथूला दर्रे से भी यात्रा शुरू की गई है। इस बार भारत और चीन के अलावा नेपाल से भी ये यात्रा गुजरेगी। नए रुट पर सहमती बन गई है और अब ये यात्रा दो देशों से नहीं बल्कि तीन देशों से होकर गुजरेगी। सरकार ने एक नया रास्ता पिछले दिनों ही बनाने का फैसला लिया है। इससे पहले जो भी यात्री जाते थे वो भारत-चीन के बीच पुराने उबड़-खाबड़ रास्ते से जाते थे लेकिन ये नया रास्ता बहुत हद तक सुगम है।
जानिये इस यात्रा से जुड़ी कुछ अहम बातें.....
- कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल 08 जून से 09 सितंबर तक चलेंगी।
- यह यात्रा दो रास्तों से तय किया जा सकता - उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा और सिक्किम नाथूला दर्रा होकर।
- यात्रियों को यात्रा से पहले तैयारियों के लिये 3-4 दिन दिल्ली में ठहरने की जरूरत होगी। यात्रियों के दिल्ली में रुकने के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से निशुल्क भोजन और ठहरने की व्यवस्था की गई है।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा इस बार कार से भी की जा सकेगी। कार या अन्य वाहनो के वह तक पहुचने से बुजुर्गों के लिए भी कैलाश मानसरोवर यात्रा आसान हो जाएगी।
- यात्रा के दौरान यात्रियों को 19,500 फीट की ऊंचाई वाले जगहों पर भी चलने की जरूरत होगी। इस दौरान काफी ठंड और प्रतिकूल मौसम का भी सामना करना पड़ सकता है।
कैलाश का नया रास्ता
काठगोदाम (भारत)-भवाली (भारत)-अल्मोड़ा (भारत)-दीढल (भारत)-तवाघाट (भारत)-कालापानी (भारत)-नावीधांग (भारत)-लखनपुर (नेपाल)-नजंग (नेपाल)-नावीधांग (भारत)-लिपुलेख दर्रा (चीन)-तकलाकोट (चीन)-तारचेन (चीन)-कैलास मानसरोवर
आगले स्लाइड् में पढ़ें लेपुलेख मार्ग (उत्तराखंड) से जाने पर आने वाला खर्च......
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