नई दिल्ली। भारत का सबसे पहला सेमी स्टील्थ ड्रोन (Indigenous Drone Warrior) का मॉडल भी बेंगलुरु के एयरो इंडिया में पेश किया गया है। वॉरियर (Warrior) नाम का ये ड्रोन स्वदेशी कार्यक्रम (CATS) यानी कांबैट एयर टीम सिस्टम का हिस्सा है। यह मानव और मानवरहित प्लेटफॉर्म का बेहद सटीक मिश्रण है, जो दुश्मन के बेहद चौकसी भरे हवाई क्षेत्र को भी भेद देगा। आम भाषा में कहें तो वॉरियर ड्रोन इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि वह स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस कांबैट एयरक्राफ्ट (Tejas combat aircraft ) के साथ उड़ाया जा सके, जो युद्ध के मैदान में तेजस की रक्षा करेगा और दुश्मन से बराबरी का मुकाबला भी करेगा।
पायलट के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगा वॉरियर ड्रोन
वॉरियर ड्रोन का पहला प्रोटोटाइप के 3 से 5 साल के भीतर उड़ान भरने की उम्मीद है। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की ओर से इसके लिए वित्तीय मदद दी जा रही है। CATS प्रोग्राम के तहत देश में अगली पीढ़ी के कई हथियार और उपकरण विकसित किए जा रहे हैं।
वॉरियर ड्रोन की खासियत ये है कि तेजस के साथ कई वॉरियर ड्रोन को संचालित किया जा सकेगा। ड्रोन के पीछे आइडिया है कि हर हवाई मिशन पूरी तरह सफल रहे और पायलट की जिंदगी सुरक्षित रहे। लिहाजा पायलट के साथ ड्रोन की पूरी कमांड रहेगी, जो उसके सुरक्षा कवच का काम करेगी।
वॉरियर ड्रोन मिसाइलों से होगा लैस
वॉरियर हवा से हवा में और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस होगा, ताकि हवा और जमीन दोनों जगह पर दुश्मन को जवाब दिया जा सके। इसकी एक खासियत ये भी है कि ये ड्रोन आपात स्तिथि में सेल्फ ऑपरेट भी कर सकता है, स्वदेशी लड़ाकू की ढाल बनने के साथ साथ वॉरियर दुश्मन को मुँह तोड़ जवाब देने में भी सक्षम होगा।
वॉरियर ड्रोन भी लो ऑर्ब्जवर प्लेटफॉर्म पर तैयार किया जा रहा
वॉरियर (The Warrior) पूरी तरह से तो स्टील्थ विमान नहीं है। स्टील्थ विमान रडारों की पकड़ में भी नहीं आते हैं। मौजूदा निगरानी सिस्टमों के जरिये उन्हें पकड़ पाना बेहद मुश्किल होता है। वॉरियर ड्रोन भी लो ऑर्ब्जवर प्लेटफॉर्म पर तैयार किया जा रहा है और इसके रडार की पकड़ में आना मुश्किल होगा।
स्वार्म ड्रोन के सिस्टम ALFA-S को भी किया जा रहा विकसित
द हंटर ड्रोन भी नई डिजाइन बनाने और विकसित करने की प्रक्रिया का हिस्सा रहा है। हंटर क्रूज मिसाइल भी इसमें शामिल है, जो 200 किलोमीटर तक के टारगेट पर निशाना साध सकती हैं। साथ ही स्वार्म ड्रोन (ड्रोनों के झुंड) के सिस्टम ALFA-S को भी विकसित किया जा रहा है, ताकि एक ही समय पर एक साथ कई लक्ष्यों की आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के जरिये पहचान कर निशाना साधा जा सके। साथ ही अलग-अलग लक्ष्यों की आसानी से पहचान भी हो सके।
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