गिनीज बुक में दर्ज हुआ लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का नाम, जरूरतमंदों के लिए एकत्र किए 3 लाख से ज्यादा वस्त्र
जरूरतमंद लोगों के लिए वस्त्र एकत्रित करने और उन्हें जरूरतमंदों को वितरित करने के अभियान के लिए उदयपुर राजघराने के श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स में दर्ज किया गया है।
नई दिल्ली: जरूरतमंद लोगों के लिए वस्त्र एकत्रित करने और उन्हें जरूरतमंदों को वितरित करने के अभियान के लिए उदयपुर राजघराने के श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स में दर्ज किया गया है। 'वस्त्रदान' अभियान के तहत अब तक करीब 76000 दानदाताओं द्वारा 3,29,250 कपड़े एकत्रित किए जा चुके हैं। यह अभियान 120 से अधिक स्कूलों, 15 कॉलेजों व 30 एनजीओ तक पहुंच चुका है। इस वल्र्ड रिकॉर्ड के श्रेय से स्वयं को दूर रखते हुए लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि 'मैंने नहीं, बल्कि वस्त्रदान अभियान ने यह रिकॉर्ड जीता है। मैं इस पुरस्कार को मानवीय हृदय की खूबसूरती, भाईचारे की भावना और उदयपुर के सभी नागरिकों के गहरे जुड़ाव को समर्पित करता हूं।'
श्री मेवाड़ ने बताया कि 'मैंने 'वस्त्रदान' अभियान को दिए जाने के एक अभिनव प्रयास के तौर पर शुरू किया था। मैं इसके लिए धन देने के लिए कुछ संगठनों को भी बोल सकता था, लेकिन ऐसा नहीं करके मैं इस उल्लेखनीय शहर के नागरिकों, युवा लड़कों व लड़कियों को यह अहसास कराना चाहता था कि उनका कितना बड़ा दिल है।' श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ अब इस अभियान को वार्षिक आयोजन बनाने की योजना बना रहे हैं और उनका मानना है कि यह समर्पण एवं दिए जाने के अनुशासन को प्रेरित करता है।
उनका मानना है कि यह सांस्कृतिक रूप से समृद्ध, स्थिर और नैतिकता से पूर्ण समाज की विषिष्टता है। दिलचस्प बात यह है कि इस श्रेणी का पिछला विश्व रिकॉर्ड दुबई के पास था, जहां वर्ष 2016 में स्थानीय नागरिकों द्वारा 2,95,122 कपड़ों का दान किया गया था।श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के इस अभियान में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ओमान, श्रीलंका एवं यूएई करीब 12 देशों से भी कपड़े दान किए गए हैं।
श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के बारे में-
उदयपुर स्थित मेवाड़ के प्रख्यात परिवार में जन्म लेने और महाराणा प्रताप के प्रत्यक्ष वंशज होने के नाते श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की एक गौरवपूर्ण व विशेषाधिकार वाली पृष्ठभूमि है। इसके साथ ही इन पर वसीयत में मिली अपनी इस विरासत को आगे बढ़ाने की बड़ी अहम जिम्मेदारी भी है। मेवाड़ के 1500 वर्ष पुराने इनके परिवार को दुनिया के सबसे प्राचीन राजवंश के रूप में स्वीकार किया जाता है। श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के पास अपनी इस बहुआयामी विरासत को बरकरार रखने की विस्मयकारी जिम्मेदारी है। ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने और दुनिया भर की यात्रा करने के बाद श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ द्वारा अपने आसपास के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिषा में कई उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं, जिससे ये ग्लोबल सिटीजन के तौर पर उभरे हैं।
उदयपुर शहर के बारे में-
'झीलों की नगरी' के नाम से प्रसिद्ध उदयपुर पूर्व राजपूताना साम्राज्य के समय में मेवाड़ राज्य की ऐतिहासिक राजधानी थी। राजपूतों के सिसोदिया वंष के महाराणा उदय सिंह द्वितीय द्वारा 1558 में इस शहर की स्थापना की गई थी। जब चित्तौड़गढ़ को अकबर द्वारा घेर लिया गया था, तब महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने अपनी राजधानी को चित्तौड़गढ़ से उदयपुर स्थानांतरित कर दिया था। 1818 में उदयपुर के एक ब्रिटिश रियासत बनने तक यह शहर राजधानी बना रहा और फिर 1947 में भारत के स्वतंत्र होने पर मेवाड़ प्रांत राजस्थान का हिस्सा बन गया।
अरावली की हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ और झीलों के आसपास के क्षेत्र में बसा हुआ सूर्योदय का शहर उदयपुर अत्यंत खूबसूरत स्थान है। रोमांस व खूबसूरती में परिपूर्ण और सफेद दृष्टि से युक्त उदयपुर शहर कई बेहतरीन स्थानों, आवाजों व अनुभवों का आकर्षक मिश्रण है। यह शहर हमेषा से कवियों, चित्रकारों और लेखकों की कल्पना का प्रेरणास्त्रोत भी रहा है। यहां के परी कथाओं के भव्य महल, झीलें, मंदिर, बगीचे और दुकानों वाली सकड़ी गलियां मिलकर वीरतापूर्ण इतिहास, पराक्रम, साहस और बहादुरी का अहसास कराते हैं। यहां की पिछोला झील के स्वच्छ पानी में इनका प्रतिबिम्ब बेहद मोहक दृश्य होता है।