नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में अब 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। आज सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्व ने कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट में एक स्टेट्स रिपोर्ट फाइल की गई है, जिसपर कोर्ट द्वारा नाराजगी जाहिर की गई और इसे कम से कम एक दिन पहले फाइल करने के लिए कहा गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी गवाहों के बयान 164 में क्यों दर्ज नहीं हुए सिर्फ़ 4 के ही क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को लखीमपुर खीरी घटना के बाकी चश्मदीदों के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ मामले पर सुनवाई कर रही है। इसी पीठ ने आठ लोगों की ‘‘बर्बर’’ हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर आठ अक्टूबर को असंतोष व्यक्त किया था। मामले में अभी तक केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। शीर्ष अदालत ने आठ अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के आरोपियों को गिरफ्तार ना करने के कदम पर सवाल उठाए थे और साक्ष्यों को संरक्षित रखने का निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा था कि कानून सभी आरोपियों के खिलाफ समान रूप से लागू होना चाहिए और "आठ लोगों की बर्बर हत्या की जांच में विश्वास जगाने के लिए सरकार को इस संबंध में सभी उपचारात्मक कदम उठाने होंगे।" राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने आठ अक्टूबर को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी में किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की कथित तौर पर पीट कर हत्या कर दी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई।
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