नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले महीने हुई हिंसा में 8 लोगों की मौत के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच किसी पूर्व जज से कराने के पक्ष में है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार तक टालते हुए कहा है कि जांच के लिए किसी पूर्व जज को नियुक्त कर देंगे।
मामले पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि कोर्ट जिस तरह से इस मामले की जांच चाहता है, उस तरह से जांच नहीं हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की स्टेट्स रिपोर्ट पर कहा कि रिपोर्ट में कुछ नहीं है, यहां तक की लैब रिपोर्ट्स भी नहीं दी गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया था। लैब रिपोर्ट्स नहीं होने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश सालवे ने कहा कि रिपोर्ट 15 नवंबर तक आएगी और रिपोर्ट आना उनके हाथ में नहीं है।
सुनवाई के दौरान जज ने ने पूछा कि मामले में सिर्फ आरोपी आशीष मिश्रा का मोबाइल सीज किया गया है बाकियों के क्यों नहीं किए गए? इस पर सालवे ने कहा कि कुछ आरोपियों के पास मोबाइल नहीं थे लेकिन उनके सीडीआर हमारे पास हैं। हम घटनास्थल पर आरोपियों की उपस्थिति की भी जांच कर रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि स मामले में 3 FIR दर्ज की गई हैं। एक किसानों की हत्या की, एक पत्रकार की हत्या की और एक राजनीतिक कार्यकर्ताओं की। इन तीनों की अलग-अलग जांच होनी चाहिए। लेकिन, इस मामले में एक FIR के सबूतों और गवाहों को दूसरे में इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि हमें अब इस पर विश्वास नहीं है कि आपके राज्य की जूडिशल कमेटी इस मामले की निगरानी सही से कर रही है। इसलिए हमें किसी और हाईकोर्ट के एक पूर्व जज को नियुक्त करना होगा। कोर्ट ने कहा पंजाब और हरियाणा HC के जस्टिस राकेश कुमार जैन या जस्टिस रंजीत सिंह इस मामले को देख कर सकते हैं।
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