नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अधिकतर स्थानों से सेना को पीछे हटा लेने के चीन के दावे पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। इस प्रक्रिया पूरी करने संबंधी कदमों पर विचार करने के लिए भारत और चीन के वरिष्ठ कमांडर निकट भविष्य में मुलाकात करेंगे। यह जानकारी आज विदेश मंत्रालय प्रवक्ता द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों का आधार है। हम उम्मीद करते हैं कि चीन सीमा से बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी करने और तनाव कम करने के लिए हमारे साथ ईमानदारी से मिलकर काम करेगा।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले चीन ने दावा किया था कि अग्रिम मोर्चे से दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने की कवायद सीमा पर अधिकांश स्थानों पर पूरी हो गई है । चीन ने यह भी कहा था कि जमीन पर स्थिति सामान्य हो रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीनी दावे के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में आनलाइन माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘ इस उद्देश्य की दिशा में कुछ प्रगति हुई है लेकिन पीछे हटने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। ’’ उन्होंने कहा कि दोनों सेनाओं के वरिष्ठ कमांडर निकट भविष्य में बैठक करेंगे ताकि पीछे हटने की प्रक्रिया पूरा करने की दिशा में उठाये जाने वाले कदमों पर चर्चा की जा सके ।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ जैसा कि हमने पहले की कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाये रखना हमारे द्विपक्षीय संबंधों का आधार है। ’’ उन्होंने कहा कि इसलिये हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष पूरी तरह से पीछे हटने, तनाव कम करने तथा सीमावर्ती क्षेत्र में पूरी तरह से शांति बहाल करने के लिये गंभीरता से काम करेगी जिस पर हमारे विशेष प्रतिनिधियों के बीच सहमति बनी थी ।
गौरतलब है कि सीमा मुद्दे पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच 5 जुलाई 2020 को टेलीफोन पर बातचीत हुई थी । वहीं, 24 जुलाई को राजनयिक बातचीत में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकाल के अनुरूप वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों के जल्द और पूरी तरह से पीछे हटने पर सहमति व्यक्त की थी जो सम्पूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के लिये जरूरी है। यह बातचीत ऐसे समय में हुई थी जब चीनी सेना के पूर्वी लद्दाख के कुछ हिस्सों से पीछे हटने संकेत मिले थे । (इनपुट-भाषा)
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