नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद के सदस्य रहे सुरेंद्र मित्तल ने एक स्वयंभू संयासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह संत उनसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए उन्हें उत्तेजित करने की कोशिश किया करती थी। वह लगातार आई लव यू इत्यादि कहा करती थी, लेकिन वह कभी कामयाब नहीं हुई। जब मैनें इनकार कर दिया तो उन्होंने मुझे गालियां देना और बुरा भला कहना शुरू कर दिया। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में उनके अनुयायी इन्हें राधे मां के नाम से पुकारते हैं और उन्हें दुर्गा का अवतार बताया जाता है। ये भी पढ़ें: ‘I Love You बोलकर शारीरिक संबंध बनाने के लिए उकसाती थी राधे मां’
ये महिला न तो कुछ बोलती हैं और न कोई प्रवचन देती हैं, लेकिन पंजाबी मूल की इस महिला के आयोजनों में लाखों लोग शरीक होते हैं और शहर भर में बड़े-बड़े बैनर पोस्टर लगाकर इस महिला का प्रचार किया जाता है। अब सवाल यह उठता है कि पंजाब से मुंबई आई एक लडकी चंद सालों में एकाएक देवी की तरह कैसे पूजे जाने लगी? कौन हैं वे लोग जिन्होंने उसकी ये इमेज हासिल करने में मदद की?
राधे मां का जन्म पंजाब के होशियारपुर जिले के एक सिख परिवार में हुआ था। इनकी शादी पंजाब के ही रहने वाले व्यापारी सरदार मोहन सिंह से हुई है। शादी के बाद एक दिन इनकी मुलाकात शिव मंदिर के पास महंत श्री रामदीन दास से हुई। उन्होंने इनकी धार्मिक प्रतिभा तो पहचाना।
महंत रामदीन के प्रभाव में आने के बाद राधे मां की ख्याति बढ़ी। कथित रूप से वह लोगों के व्यक्तिगत, व्यापारीक और पारिवारिक समस्याओं को दूर करने लगी। आज राधे मां का जलवा देश-विदेश में फैला हुआ है। मुंबई उनके लिए बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं।
स्थानीय लोग उन्हें सत्संग, जागरण, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बुलाने लगे। राधे मां के आशीर्वाद से लोगों के व्यक्तिगत, व्यापारिक और पारिवारिक समस्याओं का समाधान होने लगा। आज राधे मां का जलवा देश के अलावा विदेशों में फैला हुआ है।
होशियारपुर से मुंबई का लम्बा सफ़र राधे मां ने कैसे तय किया इस के बारे में कोई कुछ नहीं जानता। यहां वो एक बड़े कारोबारी संजीव गुप्ता से मुलाकात हुई।
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