नई दिल्ली: मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद मेधा पाटकर ने कहा है कि नर्मदा नदी पर गुजरात में बने सरदार सरोवर बांध का इससे प्रभावित लोगों के पुनर्वास के बगैर लोकार्पण राजनीतिक लाभ के लिए किया गया है। ऐसे में हमें प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने की खातिर एक बार फिर से नए सिरे से आंदोलन शुरू करने के बारे में विचार करना पड़ेगा।
नर्मदा आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा, ‘विकास के नाम पर पूरी जिंदगी उजाड़ना और फिर उनके पुनर्वास में बहुत समय लगता है। इस परियोजना को लेकर लगभग 50 प्रतिशत काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है। मध्य प्रदेश में करीब 40 हजार परिवार ऐसे हैं जिनका अभी तक पुनर्वास नहीं हुआ है। पर्यावरणीय कार्य भी पूरा नहीं हुआ है। हम अब लड़ाई का दूसरा दौर शुरू करेंगे। हमें यह तय करना पड़ेगा।’
उन्होंने कहा, ‘सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित करीब 40,000 परिवार आज भी बांध के 214 किलोमीटर में फैले जलाशय यानि डूब क्षेत्र में ही बसे हैं। उनके उचित पुनर्वास के बगैर इस बांध का लोकार्पण किया गया है, जो बिल्कुल गलत है।’ गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर रविवार को नर्मदा नदी पर गुजरात में बने सरदार सरोवर बांध का लोकार्पण किया है। सरकार का दावा है कि इस परियोजना से 18 लाख हेक्टेयर जमीन को लाभ मिलेगा और नर्मदा से नहरों के जरिए 9,000 गांवों में सिंचाई की जा सकेगी।
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