सेंटेनलीज आदिवासियों से जुड़ी कुछ रहस्यमई बातें जानकर हैरान रह जाएंगे आप, पूरी दुनिया से हैं अछूते
आइए, आपको बताते हैं इन्हीं सेंटेनलीज आदिवासियों की रहस्यमयी दुनिया से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में।
पोर्ट ब्लेयर: अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के नार्थ सेंटीनल आइलैंड में घुसने की कोशिश कर रहे एक अमेरिकी नागरिक की सेंटेनलीज आदिवासियों ने कथित तौर पर तीर मारकर हत्या कर दी है। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, जॉन एलन चाऊ नाम के 27 वर्षीय इस अमेरिकी नागरिक की 17 नवंबर को सेंटेनलीज आदिवासियों ने हत्या कर दी थी। पुलिस का कहना है कि चाऊ की मौत पारंपरिक हथियारों से तो हुई है लेकिन अभी साफतौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि उन्हें तीरों या भालों से मारा गया। आइए, आपको बताते हैं इन्हीं सेंटेनलीज आदिवासियों की रहस्यमयी दुनिया से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में।
सुनामी में भी साफ बच गए थे सेंटेनलीज आदिवासी
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सेंटेनलीज लोग उन आदिवासियों में से एक हैं जो 2004 में आई सुनामी में बाहरी दुनिया की कोई मदद के बिना जीवित बच गए थे। साल 2004 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या गणक अधिकारी केवल 15 सेंटेनलीज लोग 12 पुरुष और 3 महिलाओं का ही पता लगा सकें। वहीं, विशेषज्ञों ने कहा है कि उनकी संख्या 40 से 400 के बीच कुछ भी हो सकती है। कहा जाता है कि इन आदिवासियों की बाहरी दुनिया में कोई दिलचस्पी नहीं है और उन्होंने इसे कई बार साबित भी किया है।
बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं
सेंटेनलीज आदिवासियों के लिए बाहरी दुनिया का कोई वजूद ही नहीं है। वे अपने इलाके में किसी भी बाहरी का दखल बर्दाश्त नहीं करते। भारतीय मानवविज्ञान सोसायटी ने इन आदिवासियों से संपर्क करने की कोशिश की थी और उनके लिए केले और नारियल छोड़े थे, लेकिन उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। ये आदिवासी अंडमान में सबसे निजी आदिवासियों में से एक हैं। वे आक्रामक हैं और बाहरी लोगों पर तीरों तथा पत्थरों से हमला करने के लिए पहचाने जाते हैं।
2 मछुआरों को भी मार डाला था
अमेरिकी नागरिक से पहले सेंटेनलीज आदिवासी 2 मछुआरों की भी जान ले चुके हैं। साल 2006 में समुद्र में शिकार करने के बाद दो भारतीय मछुआरों ने सोने के लिए इस द्वीप के समीप अपनी नौका बांध दी थी लेकिन नौका की रस्सी ढीली होकर तट की ओर बह गई जिससे उनकी हत्या कर दी गई। हालांकि विशेषज्ञ इनमें से किसी भी मौत के लिए आदिवासियों को जिम्मेदार नहीं मानते क्योंकि वह किसी भी बाहरी दखल को अपने लिए खतरे के तौर पर देखते हैं। यही वजह है कि वे बाहरी लोगों पर हमला करके उनकी जान ले लेते हैं।
पहले भी अंडमान जा चुका था अमेरिकी नागरिक
बहरहाल, चाऊ की मौत के समय के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है लेकिन जो मछुआरे उन्हें द्वीप के समीप लेकर गए थे उन्होंने पुलिस को बताया कि चाऊ इससे पहले 5 बार अंडमान निकोबार द्वीप समूह जा चुके थे। उसने पोर्ट ब्लेयर से 102 किलोमीटर दूर सेंटीनल द्वीप पर रहने वाले सेंटेनलीज आदिवासियों से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने बताया कि चाऊ ने चिडियाटापू से एक डोंगी किराए पर ली और 16 नवम्बर को इस द्वीप के निकट पहुंच गया। फिर उसने आगे की यात्रा अपनी डोंगी में की। वह इससे पहले 14 नवम्बर को इसी तरह की एक नाकाम कोशिश कर चुका था।
गिरफ्तार किए गए चाऊ को द्वीप पर ले जाने वाले मछुआरे
चाऊ लापता होने के बारे में पहली बार उन मछुआरों को पता चला था जो उन्हें द्वीप के समीप लेकर गए थे। उन्होंने इस यात्रा के बारे में चाऊ के दोस्त को बताया जिसने अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में सूचना दी। पुलिस ने बताया कि आईपीसी की धारा 302 और 304 के तहत हमफ्रीगंज पुलिस थाने में दो प्राथमिकियां दर्ज की गई और अमेरिकी नागरिक को द्वीप तक ले जाने वाले 7 मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया गया।