नई दिल्ली. दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के आंदोलन को अब एक महीने का समय हो गया है। बड़ी संख्या में किसान बुराड़ी स्थित निरंकारी समागम ग्राउंड में भी कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इस बीच यहां एक नई तस्वीर देखने को मिल रही है। कुछ प्रदर्शनकारियों ने इस ग्राउंड के एक हिस्से में ही फसल उगाना शुरू कर दिया है। एक किसान ने कहा, "हमारा प्रदर्शन जारी है। एक महीने से हम खाली बैठे हैं, इसलिए हमने सोचा कि प्याज उगाई जाए जो प्रतिदिन खाना बनाने के दौरान इस्तेमाल की जा सकेगी। हम और भी फसलें बुराड़ी ग्राउंड में बोएंगे।"
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किसान नेता सरकार के साथ वार्ता बहाल करने के लिए तैयार
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया और अगले दौर की वार्ता के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया, ताकि नए कानूनों को लेकर बना गतिरोध दूर हो सके। संगठनों ने साथ ही यह स्पष्ट किया कि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा एजेंडा में शामिल होना चाहिए।
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कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया। इस फैसले से एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर दिया था कि उनकी सरकार अपने कटु आलोचकों समेत सभी से बातचीत के लिये तैयार है, लेकिन यह बातचीत ‘‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’’ पर आधारित होनी चाहिये।
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उन्होंने केन्द्र और किसानों के बीच वार्ता में गतिरोध के लिये राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना भी साधा था। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रदर्शनकारी किसानों से चर्चा के जरिए अपने मुद्दों का हल करने का आग्रह किया। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को लिखे पत्र में मोर्चा ने कहा, "हम प्रस्ताव करते हैं कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे हो।’’
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