नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने शनिवार को कहा कि ऐसी स्थिति में नहीं रहा जा सकता, जहां विधायिका द्वारा पारित कानूनों और न्यायपालिका द्वारा दिए गए फैसलों को लागू करना मुश्किल हो। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित दो दिवसीय संविधान दिवस कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कभी-कभी, अपने अधिकारों की तलाश में, लोग दूसरों के अधिकारों और अपने कर्तव्यों के बारे में भूल जाते हैं। मंत्री ने कहा कि मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के बीच संतुलन तलाशने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि संसद (Parliament) और राज्य विधानसभाओं (Legislative Assembly) द्वारा पारित विधेयक और उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) द्वारा दिए गए फैसले देश के कानून होते हैं। रिजिजू ने कहा, ‘‘ऐसी नौबत हम कैसे देख सकते हैं कि उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय, विधानसभा या संसद कानून पारित कर दे, फिर भी लागू करने में अगर मुसीबत होती है तो हम सबको सोचना होगा।’’ उन्होंने कहा, "विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, समाज के सभी वर्गों को सोचना होगा क्योंकि देश संविधान के अनुसार चलता है।"
इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण और उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश उपस्थित थे। मंत्री की टिप्पणी सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले आई है, जिसमें सरकार तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक पेश करेगी।
तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग एक साल से प्रदर्शन कर रहे लगभग 40 किसान संगठनों की प्रमुख मांगों में शामिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार विरोध करने वाले किसानों को कानूनों के लाभों के बारे में नहीं समझा पाई।
उन्होंने किसानों से धरना समाप्त करने और घर लौटने का भी आग्रह किया था। लेकिन, किसान अभी तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं और प्रदर्शन जारी है। किसानों का कहना है कि सरकार एमएसपी पर भी कानून बनाए तभी धरना खत्म होगा।
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