अफ्रीका में चीन को बड़ा झटका, केन्या में 3.2 बिलियन डॉलर के चीनी रेल प्रोजेक्ट को कोर्ट ने बताया अवैध
अफ्रीकी देश केन्या की एक अदालत ने चीन के 3.2 बिलियन डॉलर के रेल प्रोजेक्ट को अवैध करार दिया है।
भारत में जारी बायकॉट चायना मुहिम के बीच चीन को अफ्रीका से भी बड़ा झटका लगा है। अफ्रीकी देश केन्या की एक अदालत ने चीन के 3.2 बिलियन डॉलर के रेल प्रोजेक्ट को अवैध करार दिया है। यह करार केन्या की सरकार और चीन की रोड एंड ब्रिज कॉरपोरेशन सीआरबीसी के बीच हुआ था। जिसे केन्या की अदालत ने अवैध माना है। अदालत के अनुसार स्टैंडर्ड गेज रेलवे यानि एसजीआर की खरीद केन्या के राष्ट्रीय कानून का पालन नहीं करता है। अरबों रुपए की चीनी सहायता का यह प्रोजेक्ट चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत शुरू किया गया है।
साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार केन्या के एक सामाजिक कार्यकर्ता ओकिया ओम्ताहा और लॉ सोसाइटी आफ केन्या ने 2014 में इस एसजीआर प्रोजेक्ट को रोकने के लिए अपील दायर की थी। इस अपील में कहा गया था कि रेलवे एक सार्वजनिक संपत्ति है और इससे जुड़ी खरीद को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी तरीके से किया जाना चाहिए। अपीलकर्ता ने कोर्ट को बताया कि यह प्रोजेक्ट एक ही कंपनी से किया जा रहा है और इसमें किसी प्रकार की टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। जबकि इस प्रोजेक्ट की कीमत केन्या के करदाताओं के पैसे से ही चुकाई जाएगी।
हालांकि हाईकोर्ट ने यह कहते हुए अपील को निरस्त कर दिया था कि अपील कर्ता ने इस केस के लिए कागजातों को अवैध तरीके से जुटाया है। इन दस्तावेजों को सरकार ने बेहद संवेदनशील माना था। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद अपीलकर्ताओं ने अपीलीय न्यायालय में इस केस को दर्ज किया। न्यायालय ने हाईकोर्ट के निर्णय को गलत मानते हुए रेल प्रोजेक्ट को अवैध करार दिया है।
बता दें कि कोर्ट का निर्णय तब आया है जब इस प्रोजेक्ट का अधिकतर काम पूरा हो चुका है। यह प्रोजेक्ट 2017 में शुरू भी हो चुका है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि देश की सरकार अब इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को रुख कर सकती है।
2014 में यह प्रोजेक्ट देश की मोंबासा पोर्ट से राजधानी नैरोबी के बीच शुरू किया गया था। यह ठेका सीआरबीसी को दिया गया था। वहीं बाद में इसकी पैत्रक कंपनी चायना कम्युनिकेशन कंस्ट्रक्शन कंपनी को सेंट्रल रिफ्ट वैली में बसे नैवाशा तक बढ़ाने का ठेका दिया गया। यह ठेका 1.5 बिलियन डॉलर का था।