नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश आज पीएम नरेंद्र मोदी की पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में केन-बेतवा इंटरलिंकिंग परियोजना पर हस्ताक्षर करेंगे। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री आज (सोमवार) विश्व जल दिवस पर केंद्र के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे ताकि इस महत्वकांशी परियोजना की शुरुआत हो सके। पीएम नरेंद्र मोदी इस दौरान 'जल शक्ति अभियान: कैच द रेन' की भी शुरुआत करेंगे। केंद्र, इस आठ महीने के राष्ट्रव्यापी अभियान के माध्यम से, लोगों की भागीदारी के माध्यम से जमीनी स्तर पर जल संरक्षण लेना चाहता है।
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क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना
इस महत्वकांक्षी परियोजना के तहत यूपी की बेतवा और एमपी के केद नदी को लिंक किया जाना है। इसे बनाने में 45 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित राशि खर्च होने की बात कही जा रही है, जिसमें से 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार देगी। परियोजना के तहत एमपी की केन नदी से यूपी की बेतवा नदी तक पानी पहुंचाया जाएगा। इसके लिए एक डैम बनाया जाएगा और नजर के जरिए दोनों नदियों को जोड़ा जाएगा।
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क्या है केन बेतवा लिंक परियोजना के फायदे
इस परियोजना से यूपी और एमपी में बंटे बुंदेलखंड के एक बड़े इलाके को फायदा होगा। सूखे की मार झेलने वाले इस इलाके को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। यूपी और एमपी की हजारों हेक्टर कृषि भूमि के अलावा बड़ी आबादी को पीने का पानी भी मिलेगा। इन परियोजना से यूपी के बांदा, महोबा, झांसी, ललितपुर और एमपी के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर दामोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन को फायदा होगा।
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क्यों लगा इस परियोजना में समय
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का नदियों को आपस में जोड़ने का सपना था। इस सपने पर कुछ समय के लिए ब्रेक लग गया था लेकिन अब उनके इस सपने पर तेज गति से काम हो रहा है। केन-बेतवा लिंक परियोजना 2010 से पहले की है। इस योजना में समय लगने की बड़ी वजह यूपी और एमपी के बीच का विवाद रहा। एमपी को इस योजना से 2650 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना है, जबकि यूपी को 1700 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी दिया जाएगा। हालांकि यूपी सरकार की तरफ से ज्यादा पानी की मांग की जा रही थी।
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इलरे अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व का कुछ हिस्सा इस परियोजना से प्रभावित होना है, जिसेस टाइगर्स को नुकसान हो सकता है, ये भी परियोजना में समय लगने की एक वजह है। केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है, दोनों नदियों के इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट की वजह से इस रिजर्व का कुछ हिस्सा पानी में डूब जाएगा। अब नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ ने इस पर अपनी सशर्त सहमति दे दी है।
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