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Hindi News भारत राष्ट्रीय कठुआ गैंगरेप: तो इसलिए 8 साल की बच्ची को छह लोगों ने बनाया हवस का शिकार

कठुआ गैंगरेप: तो इसलिए 8 साल की बच्ची को छह लोगों ने बनाया हवस का शिकार

कठुआ मामले के जांच से इस बात का खुलासा हुआ है कि आरोपी ने मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को चार लाख रूपये तीन किश्तों में दिए। जांच में इस बारे में ब्योरा दिया गया है कि आरोपी पुलिस अधिकारियों ने मृतका के कपड़े फारेंसिक प्रयोगशाला में भेजने से पहले उसे धोकर किस तरह से अहम सबूत नष्ट किए और मौके पर झूठे साक्ष्य बनाए।

Kathua: 8-years-old Asifa raped and murder to drive out Muslim tribe- India TV Hindi कठुआ गैंगरेप: तो इसलिए 8 साल की बच्ची को छह लोगों ने बनाया हवस का शिकार  

जम्मू: कठुआ मामले के आरोपपत्र से इस बात का खुलासा हुआ है कि आठ वर्षीय बच्ची को नशीली दवा दे कर रखा गया था और उसकी हत्या से पहले दरिंदों ने फिर से उसे हवस का शिकार बनाया था। गौरतलब है कि इस बच्ची को जनवरी में एक हफ्ते तक कठुआ जिला स्थित एक गांव के एक मंदिर में बंधक बना कर रखा गया था और उससे छह लोगों ने कथित तौर पर बलात्कार किया था। जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने यहां सोमवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 15 पृष्ठों का आरोपपत्र दाखिल किया। इसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि बकरवाल समुदाय की बच्ची का अपहरण, बलात्कार और हत्या इलाके से इस अल्पसंख्यक समुदाय को हटाने की एक सोची समझी साजिश का हिस्सा थी। इसमें कठुआ स्थित रासना गांव में देवीस्थान, मंदिर के सेवादार को अपहरण, बलात्कार और हत्या के पीछे मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है।

मुख्य साजिशकर्ता के साथ विशेष पुलिस अधिकारी, मित्र, भतीजा और उसका बेटा कथित तौर पर शामिल हुए। आरोपपत्र में जांच अधिकारी (आईओ) हेड कांस्टेबल और उप निरीक्षक भी नामजद हैं जिन्होंने मुख्य साजिशकर्ता से कथित तौर पर चार लाख रूपया लिए और अहम सबूत नष्ट किए। सभी आठ लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं। वहीं जम्मू में वकीलों ने आरोपियों के समर्थन में कामकाज बंद रखा। आरोपपत्र में कहा गया है कि बच्ची का शव बरामद होने से छह दिन पहले 11 जनवरी को एक आरोपी ने अपने चचेरे भाई को फोन किया था और मेरठ से लौटने को कहा था, जहां वह पढ़ाई कर रहा था।

दरअसल, उसने उससे कहा कि यदि वह मजा लूटना चाहता है तो आ जाए। आठ वर्षीय बच्ची 10 जनवरी को लापता हो गई थी जब वह जंगल में घोड़ों को चरा रही थी। जांचकर्ताओं ने कहा कि आरोपियों ने घोड़े ढूंढने में मदद करने के बहाने लड़की को अगवा कर लिया। अपनी बच्ची के लापता होने के अगले दिन उसके माता पिता देवीस्थान गए और मुख्य साजिशकर्ता से उसका अता पता पूछा। जिसपर उसने बताया कि वह अपने किसी रिश्तेदार के घर गई होगी। आरोपपत्र के मुताबिक आरोपी ने बच्ची को देवीस्थान में बंधक बनाए रखने के लिए उसे अचेत करने को लेकर नशीली दवाइयां दी थी।

एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी की मेडिकल जांच से जाहिर होता है कि वह वयस्क है लेकिन अदालत ने अभी तक रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लिया है। आरोपपत्र के मुताबिक विशेष पुलिस अधिकारी ने बच्ची का अपहरण करने के लिए नाबालिग आरोपी को लालच दिया। विशेष पुलिस अधिकारी ने उसे भरोसा दिलाया कि वह बोर्ड परीक्षा पास करने (नकल के जरिए) में उसकी मदद करेगा। इसके बाद उसने एक दूसरे आरोपी से योजना साझा कर उसे अंजाम देने में मदद मांगी, जो मुख्य साजिशकर्ता और विशेष पुलिस अधिकारी ने बनाई थी। आरोपी अपने चचेरे भाई का फोन आने के बाद मेरठ से रासना पहुंचा और दूसरे आरोपियों के साथ बच्ची से बलात्कार किया, जिसे नशीली दवा दी गई थी। मुख्य साजिशकर्ता के निर्देश पर बच्ची को मंदिर से हटाया गया और उसे खत्म करने के इरादे से उसे पास के जंगल में ले गए।

जांच के मुताबिक विशेष पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंचा और उनसे इंतजार करने को कहा क्योंकि वह बच्ची की हत्या से पहले उसके साथ फिर से बलात्कार करना चाहता था। आरोपपत्र में कहा गया है कि बच्ची से एक बार फिर सामूहिक बलात्कार किया गया और बाद में नाबालिग आरोपी ने उसकी हत्या कर दी। इसमें कहा गया है कि उसने बच्ची के सिर पर एक पत्थर से दो बार प्रहार किया और उसके शव को जंगल में फेंक दिया। दरअसल, वाहन का इंतजाम नहीं हो पाने के चलते नहर में शव को फेंकने की उनकी योजना नाकाम हो गई थी। शव का पता चलने के करीब हफ्ते भर बाद 23 जनवरी के सरकार ने यह मामला अपराध शाखा को सौंपा जिसने एसआईटी गठित की। आरोपपत्र में कहा गया है कि जांच में यह पता चला कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में ही आरोपी ने रासना इलाके से बकरवाल समुदाय को हटाने का फैसला कर लिया था जो उसके दिमाग में कुछ समय से चल रहा था।

जांच से इस बात का खुलासा हुआ है कि आरोपी ने मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को चार लाख रूपये तीन किश्तों में दिए। जांच में इस बारे में ब्योरा दिया गया है कि आरोपी पुलिस अधिकारियों ने मृतका के कपड़े फारेंसिक प्रयोगशाला में भेजने से पहले उसे धोकर किस तरह से अहम सबूत नष्ट किए और मौके पर झूठे साक्ष्य बनाए। जांच के दौरान यह भी पता चला कि मुख्य आरोपी रासना, कूटा और धमयाल- इलाके में बकरवाल समुदाय के बसने के खिलाफ था। वह हमेशा ही अपने समुदाय के लोगों को इस बात के लिए उकसाता था कि वे इन लोगों को चारागाह के लिए जमीन मुहैया ना करें या उनकी कोई मदद ना करें।

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