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Hindi News भारत राष्ट्रीय कश्मीर: पत्थरबाजों का सिक्योरिटी क्लियरेंस रोकने पर उमर अब्दुल्ला ने जताया ऐतराज

कश्मीर: पत्थरबाजों का सिक्योरिटी क्लियरेंस रोकने पर उमर अब्दुल्ला ने जताया ऐतराज

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि पुलिस की प्रतिकूल रिपोर्ट अदालत में दोषी पाए जाने के बराबर नहीं हो सकती।

कश्मीर: पत्थरबाजों का सिक्योरिटी क्लियरेंस रोकने पर उमर अब्दुल्ला ने जताया ऐतराज- India TV Hindi Image Source : PTI कश्मीर: पत्थरबाजों का सिक्योरिटी क्लियरेंस रोकने पर उमर अब्दुल्ला ने जताया ऐतराज

श्रीनगर: नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि पुलिस की प्रतिकूल रिपोर्ट अदालत में दोषी पाए जाने के बराबर नहीं हो सकती। यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी शाखा द्वारा पथराव या विध्वंसक गतिविधियों में शामिल सभी लोगों को पासपोर्ट और अन्य सरकारी सेवाओं के लिए आवश्यक सुरक्षा मंजूरी से इनकार करने के आदेश के बाद आई है। 

नेकां नेता ने ट्विटर पर लिखा, "एक 'प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट' कानून की अदालत में दोषी पाए जाने का विकल्प नहीं हो सकती है। डेढ़ साल पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत मेरी नजरबंदी को सही ठहराने के लिए एक 'प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट' बनाई थी जोकि कानूनी चुनौती के दौरान नहीं टिकेगी।” 

वह अगस्त 2019 में केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के बाद अपनी पीएसए नजरबंदी का जिक्र कर रहे थे। तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराध या बेगुनाही अदालत में साबित होनी चाहिए और यह अप्रमाणित पुलिस रिपोर्टों पर आधारित नहीं होनी चाहिए।

गौरतलब है कि कश्मीर में सीआईडी की विशेष शाखा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने शनिवार को जारी आदेश में अपने अधीन सभी क्षेत्र यूनिटों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि पासपोर्ट और सरकारी नौकरी अथवा अन्य सरकारी योजनाओं के वास्ते सत्यापन के दौरान व्यक्ति की कानून-व्यवस्था उल्लघंन, पत्थरबाजी के मामलों और राज्य में सुरक्षाबलों के खिलाफ अन्य आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता की विशेष तौर पर जांच हो। 

आदेश में कहा गया है, ‘‘ऐसे मामलों का मिलान स्थानीय थाने में मौजूद रिकॉर्ड से किया जाना चाहिए।’’ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस तरह के सत्यापन के दौरान पुलिस, सुरक्षाबलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के पास मौजूद डिजिटल सबूतों जैसे सीसीटीवी फुटेज, फोटोग्राफ, वीडियो और ऑडियो क्लिप को भी संज्ञान में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई व्यक्ति ऐसे मामलों में संलिप्त पाया जाता है तो उसको सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार किया जाना चाहिए।’’

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