J&K में आतंकवाद का समर्थन खत्म होने के करीब, लोग शांति चाहते हैं: वरिष्ठ थल सेना अधिकारी
लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने कहा कि एक और बात गौर करने लायक यह है कि पाकिस्तान हमेशा अपनी गतिविधियों से कश्मीर घाटी में सामान्य स्थिति में खलल डालना चाहता रहा है।
श्रीनगर. थल सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि उत्तरी कश्मीर में हिंसा की हालिया घटनाएं आतंकवादियों की हताशा का संकेत है, जिन्हें लोगों के बीच समर्थन नहीं मिल रहा है। दरअसल, कश्मीर की अवाम हिंसा के चक्र से बाहर निकलना चाहती है। कश्मीर स्थित 15 वीं कोर का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने कहा कि आतंकी समूहों में स्थानीय युवाओं की भर्ती में इस साल आई भारी कमी से यह तथ्य प्रदर्शित होता है। उन्हें लगता है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का मूल उद्देश्य सनसनी पैदा करना है, जिसे झूठे अलगावावादी विमर्श और पाकिस्तान से प्रायोजित दुष्प्रचार से समर्थन मिलता है।
लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने पीटीआई-भाषा से एक ईमेल साक्षात्कार में कहा, ‘‘आतंकवाद की ये गतिविधियां अवाम के बीच ज्यादा समर्थन नहीं पा रही हैं, ये असमन्वित आतंकवादी गतिविधियां हताशा का संकेत हैं। ऐसी कोई जगह नहीं दिखती है, जहां आतंकवादियों या अलगाववादी का नियंत्रण हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, लोग एक समाधान चाहते हैं, वे हिंसा के इस चक्र से बाहर निकलना चाहते हैं और यही कारण है कि आतंकवाद के लिये समर्थन लगभग खत्म हो गया है।’’
उत्तरी कश्मीर में हाल ही में आतंकी हिंसा बढ़ने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये हमले किसी भी तरह से ये संकेत नहीं करते हैं कि आतंकवादियों की मौजूदगी बढ़ी है। इन हमलों में थल सेना ने अपने कर्नल और एक मेजर को तथा सीआरपीएफ ने अपने कर्मी को खो दिया। लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने कहा, ‘‘इसके उलट, आतंकवादी समूहों में स्थानीय युवाओं की भर्ती 2018 से 2019 में करीब आधी रह गई और यह 2020 में और कम हो गई। आतंकी कैडर अपना अस्तित्व बचाने की मुद्रा में आ गये हैं।’’
सेना ने आतंकवाद से जुड़े स्थानीय युवाओं की संख्या का खुलासा करने से इनकार कर दिया, जबकि जम्मू कश्मीर पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने इससे पहले कहा था कि 2018 में 218 स्थानीय युवा आतंकी समूह में भर्ती हुए, जबकि 2019 में 139 युवा भर्ती हुए। इस साल आतंकी समूहों में भर्ती हुए स्थानीय युवाओं की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। हालांकि, खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने संकेत दिया कि 2020 में करीब 35 युवक लापता हुए और आतंकी समूहों में शामिल हुए।
लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने कहा कि अधिक से अधिक युवा खेल-कूद, कौशल विकास पहल, रोजगार के अवसरों और शिक्षा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेना के लिये आगामी भर्ती रैली में शामिल होने के वास्ते करीब 10,000 युवाओं ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है, जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी संख्या है। सरकार ने उन्हें अपने लिये एक बेहतर भविष्य बनाने और अपने परिवारों की सहायता करने में मदद की है तथा यह तथ्य कश्मीर में हो रहे बदलाव का गवाह है।
उन्होंने कहा कि उत्तर कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि का किसी को ज्यादा मतलब नहीं निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के विभिन्न स्वरूप और सुरक्षा बलों के दबाव के कारण स्थान या तरकीब बदलने की क्षमता दुनिया भर में एक साझा विशेषता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे घुसपैठ रोधी और आतंकवाद रोधी ग्रिड इन परिवर्तनों (परिस्थितियों) के अनुकूल खुद को ढालने की क्षमता रखते हैं।’’
लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने कहा कि एक और बात गौर करने लायक यह है कि पाकिस्तान हमेशा अपनी गतिविधियों से कश्मीर घाटी में सामान्य स्थिति में खलल डालना चाहता रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम थल सेना, जम्मू कश्मीर पुलिस, सीएपीएफ, खुफिया एजेंसियों और नागरिक प्रशासन जैसे सभी पक्षों के साथ समन्वय कर किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिये तैयार हैं। ’’