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जम्मू एवं कश्मीर: हिमस्खलन में दबे तीन वाहन, 4 लोगों की मौत, 6 लापता

जम्मू एवं कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में हिमस्खलन के बाद चार शव बरामद किए गए हैं, जबकि दो लोगों को बचा लिया गया है...

Kashmir-1-killed-8-missing-after-avalanches-hit-vehicles-in-Kupwara-Tangdhar- India TV Hindi जम्मू एवं कश्मीर: हिमस्खलन में दबे तीन वाहन, इंजीनियर की मौत, 8 लापता

श्रीनगर: जम्मू एवं कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में हिमस्खलन के बाद चार शव बरामद किए गए हैं, जबकि दो लोगों को बचा लिया गया है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'अब तक सीमा सड़क संगठन (BRO) के एक इंजीनियर और तीन नागरिकों सहित चार शव बरामद किए गए हैं। बचाव का काम अभी भी चल रहा है।'। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। तंगधार क्षेत्र में शुक्रवार को साधना टॉप पर तीन वाहन हिमस्खलन की चपेट में आ गए। बर्फ में दबे तीनों वाहनों का कोई भी सुराग नहीं मिल पा रहा है। वहीं एक बच्चे समेत दो लोगों को बचा लिया गया है।

इससे पहले एक पुलिस अधिकारी ने कहा जब हिमस्खलन हुआ उस समय इलाके में बीआरओ के तीन कर्मचारी भी मौजूद थे। अधिकारी ने कहा, "इंजीनियर मंगला प्रसाद की मौत हो गई। उनके शव को बरामद कर लिया गया है, जबकि अन्य आठ लापता लोगों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान जारी है।" कुपवाड़ा से सात स्थानीय लोगों को लेकर टंगधार जा रही लाल रंग की सूमो जब साधनाटॉप इलाके से गुजर रही थी तो पहाड़ से हुए हिमस्खलन की चपेट में आने से वह नीचे जा गिरी और बर्फ में दब गई। इस वाहन के पीछे आ रहे एक अन्य यात्री वाहन में सवार एक बच्चे सहित तीन लोगों ने जब अपने सामने यह हादसा होते देखा तो बचाने के लिए आगे बढ़े, लेकिन पहाड़ से हुए हिमस्खलन की चपेट में आने से वह भी बर्फ में दब गए।

इसी दौरान टंगमर्ग से कुपवाड़ा जा रहा बीकन विभाग का एक अन्य वाहन भी हिमस्खलन की चपेट में आ गया। इसमें सवार दो बीकन कर्मियों में एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। गौरतलब है  कि साधना टाप पर हुए हिमस्खलन में एक कैब लापता हो गई और इसी में ये छह लोग सवार थे जबकि दूसरे हिमस्खलन की चपेट में आकर बीकन आफिसर की मौत हो गई।

कुपवाड़ा- तंगधार सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए यहां एक सुरंग के निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों ने कईं बार प्रदर्शन किया है,खासकर साधना टाप पर ऐसे हादसे आम बात है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में  होने वाले जोरदार हिमपात से  उनका संपर्क अन्य लोगों से काफी समय तक नहीं हो पाता है और इस क्षेत्र में होने वाली घटनाओं के कारण हर साल 35 से 40 लोगों की जानें चली जाती हैं।

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