वेंकैया नायडू ने करतारपुर कोरीडोर को बताया नए अध्याय की शुरुआत, अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान को चेताया
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को करतारपुर कोरीडोर की आधारशिला रखे जाने को भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों में नये अध्याय की शुरुआत बताया और कहा कि यह पुरानी दरारों के बीच पुल बनाने में काम आएगा।
डेरा बाबा नानक (पंजाब): उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को करतारपुर कोरीडोर की आधारशिला रखे जाने को भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों में नये अध्याय की शुरुआत बताया और कहा कि यह पुरानी दरारों के बीच पुल बनाने में काम आएगा। नायडू ने यहां आधारशिला रखे जाने के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कोरीडोर दोनों देशों के लोगों के बीच सेतु होगा जिनके बीच काफी समानता है। नायडू ने कहा कि यह कोरीडोर नये दरवाजे खोलेगा। यह पथ नयी संभावनाएं खोलता है। यह एकीकरण करने वाला, पुरानी दरारों के बीच पुल बनाने वाला है। यह गहरी समझ को बढ़ावा देता है और प्यार, सहानुभूति और साझा आध्यात्मिक विरासत के अदृश्य धागों के मार्फत दोनों देशों के लोगों को जोड़ने का नया संकल्प दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि भारत की सरकार ने पाकिस्तान की सरकार से कोरीडोर विकसित करने अपील की थी और भारत के लोग खुश हैं कि पाकिस्तान ने उनकी काफी समय से लंबित मांग को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह गौरवपूर्ण, ऐतिहासिक क्षण डेरा बाबा नानक से लेकर हमारी सीमा तक अंतरराष्ट्रीय कोरीडोर बनाने के भारत सरकार के निर्णय के कारण संभव हो सका। उन्होंने कहा कि कोरीडोर बनाने की मांग पर करीब दो दशकों तक चर्चा हुई थी जो आज पूरी हो रही है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने करतारपुर साहिब कोरीडोर के लिए आधारशिला रखने के कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान को भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां रोकने की चेतावनी दी और कहा, ‘‘हमारे पास बड़ी सेना है और हम तैयार हैं।’’पाकिस्तान नहीं जाने के अपने निर्णय का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पंजाब 20 वर्षों से आतंकवाद से पीड़ित है और आज भी भुगत रहा है... इसलिए हिंसा रूकने तक मैं पाकिस्तान नहीं जाऊंगा। मेरा दिल वहां जाने के लिए कहता है लेकिन मैंने अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई है।’’ सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी सिंह ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख की आलोचना की लेकिन सद्भावना दिखाने के लिए वहां के प्रधानमंत्री की प्रशंसा की।
सिख श्रद्धालुओं के लिए इस गलियारे के रास्ते पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब जाना सुगम हो जाएगा। रावी नदी के तट पर स्थित इस गुरुद्वारे का सिखों के लिए बहुत महत्व है क्योंकि पंथ के पहले गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 18 साल यहां गुजारे थे। सिख गुरु द्वारा 1522 में स्थापित यह गुरुद्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गलियारे के निर्माण की मांग सिख समुदाय लंबे समय से कर रहा था। गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक गलियारा बनाने का फैसला केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में 22 नवंबर को किया गया। अपनी सीमा में इस गलियारे का निर्माण पाकिस्तान करेगा और उसकी आधारशिला बुधवार को रखी जाएगी।
सिख श्रद्धालुओं के लिए गलियारे के निर्माण का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब भारत-पाकिस्तान के बीच संबंध बेहद खराब हैं और पाकिस्तानी धरती से गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी समूहों द्वारा 2016 से ही किए जा रहे हमलों के कारण देशों के बीच सभी द्विपक्षीय संबंध स्थगित हैं। इनमें पठानकोट वायुसेना शिविर पर हुआ हमला भी शामिल है। वहीं 18 नवंबर को अमृतसर स्थित निरंकारी भवन पर समागम के दौरान बाइक सवार दो लोगों ने ग्रेनेड से हमला कर दिया था। इसमें तीन लोग मारे गए थे जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इसके लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई समर्थित आतंकवादी समूह को जिम्मेदार बताया था।