कारगिल की वीरगाथा: मशीनगन छोड़कर भागने पर मजबूर हो गए थे पाकिस्तानी, परमवीर चक्र विजेता संजय कुमार की शौर्य गाथा
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले से भारतीय सेना में भर्ती हुए राइफलमैन (अब सूबेदार) संजय कुमार के शौर्य की गाथा पढ़कर आप भी रोमांचित हो उठेंगे।
Kargil Vijay Diwas 2020: 26 जुलाई 2020 को हम सब कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस मौके पर देश के उन वीरों की वीरगाथा जानना जरूरी है जिनके शौर्य के आगे दुश्मन दुम दबाकर भाग गया था। कारगिल में दुश्मन को मैदान छोड़कर भागने में मजबूर करने वाले योद्धाओं में एक नाम है संजय कुमार का। संजय कुमार अब सेना में सुबेदार हैं और 21 साल पहले 1999 में हुए कारगिल के युद्ध के समय वे राइफलमैन हुआ करते थे। लेकिन उन्होंने राइफलमैन होने के बावजूद ऐसा सौर्य दिखाया कि देश ने उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया।
1999 में कारगिल की पहाड़ियों में पाकिस्तान को धूल चटा देने वाले राइफलमैन संजय कुमार ने जिस साहस और बहादुरी से दुश्मन का खात्मा किया उसकी आज भी मिसाल दी जाती है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले से भारतीय सेना में भर्ती हुए राइफलमैन (अब सूबेदार) संजय कुमार के शौर्य की गाथा पढ़कर आप भी रोमांचित हो उठेंगे।
यूं तो कारगिल में ऑपरेशन विजय में योगदान देने वाला हर सैनिक भारत का हीरो है लेकिन एक हीरो ऐसा है जिसे भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया है। कारगिल की लड़ाई के दौरान 4 बहादुरों को परम वीर चक्र के सम्मानित किया गया है, लेकिन चारों वीर सैनिकों में दो को मरणोंपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया जबकि राइफलमैन संजय कुमार और ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव को इस सम्मान को अपने हाथों से प्राप्त किया।
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हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले से भारतीय सेना में भर्ती हुए राइफलमैन (अब सूबेदार) संजय कुमार को कारगिल की लड़ाई के दौरान 4 जुलाई 1999 को मश्कोह घाटी में प्वाइंट 4875 के फ्लैट टॉप क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए भेजा गया था। उस समय संजय कुमार आक्रमण दस्ते के अग्रिम स्काउट के रूप में कार्य करन के लिए अपनी इच्छा से आगे आए।
आक्रमण के दौरान जब दुश्मन ने एक संगर से गोलीबारी करते हुए संजय कुमार की अगुवाई वाले दस्ते को रोक दिया तो स्थिति की गंभीरता को देखते हुए संजय कुमार ने अपनी जान की परवाह किए बिना अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मन के संगर पर धावा बोल दिया। आमने-सामने की इस लड़ाई में संजय कुमार ने दुश्मन के 3 घुसपैठियों को मार गिराया, लेकिन खुद भी घायल हो गए।
अपने घावों की परवाह किए बिना उन्होंने दुश्मन के दूसरे संगर पर धावा बोल दिया जिससे दुश्मन भौचक्का रह गया और घुसपैठिए एक यूनीवर्सल मशीनगन छोड़कर भागने लगे। राइफलमैन संजय कुमार ने यह मशीनगन संभाली और भागते हुए दुश्मन को मार गिराया। अपने जख्मों भारी खून बहने के बावजूद उन्होंने वहां से हटाए जाने से इनकार कर दिया। उनके इस साहस से उनके साथियों को प्रेरणा मिली और उन्होंने विषम परिस्थितियों की परवाह नहीं करते हुए दुश्मन पर आक्रमण कर दिया और उनके कब्जे से फ्लैट टॉप क्षेत्र छीन लिया।
राइफलमैन संजय कुमार के इस साहस को देखते हुए भारतीय सेना ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया। इंडिया टीवी कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के दांत खट्टे करने वाले भारत के इस वीर योद्धा को प्रणाम करता है।