CAA पर कन्फ्यूज हुए कपिल सिब्बल? अब कहा- 'मेरे रुख में कोई बदलाव नहीं'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) से जुड़े अपने एक बयान को लेकर विवाद खड़ा होने के बाद सोमवार को कहा कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) से जुड़े अपने एक बयान को लेकर विवाद खड़ा होने के बाद सोमवार को कहा कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘केरल में 18 जनवरी को यूडीएफ की महारैली में सीएए पर सरकार के नौ झूठों को बेनकाब किया गया। रैली में मैंने कहा कि सीएए को अरब सागर में भेज देना चाहिए।’’
CAA पर कन्फ्यूज हुए कपिल सिब्बल?
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा भाषण यूट्यूब पर मौजूद है। मैंने कहा कि विधानसभा का प्रस्ताव वैध है। उच्चतम न्यायालय में सीएए के खिलाफ दलीलें दी जा रही हैं। इसलिए रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। किसी स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं है।’’ दरअसल, कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा था कि ‘संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने से कोई राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता। ऐसा करना असंवैधानिक होगा।’
शनिवार को कुछ, रविवार को कुछ और
लेकिन, फिर रविवार को सिब्बल ने ट्वीट करके CAA को ही असंवैधानिक बता दिया। सिब्बल ने रविवार को ट्वीट किया, 'मेरा मानना है कि सीएए असंवैधानिक है। प्रत्येक राज्य की विधानसभा को इस बारे में प्रस्ताव पारित करने और इसे वापस लेने की मांग करने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन यदि सुप्रीम कोर्ट कभी भी इस कानून को संवैधानिक घोषित कर देता है तो इसका विरोध मुश्किलें खड़ी कर सकता है। लड़ाई जारी रहनी ही चाहिए!'
केरल सरकार ने CAA के खिलाफ SC का रुख किया
CAA पर कपिल सिब्बल के ऐसे बयान तब आए जब बीते सप्ताह में केरल सरकार ने CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने CAA के साथ ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NPR) का विरोध किया है। ममता बनर्जी भी कई मंचों से कह चुकी हैं कि वह किसी भी हालत में पश्चिम बंगाल में CAA लागू नहीं होने देंगी।
सिब्बल के बयान पर सिब्बल के बयान भी बोले
रविवार को कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भी सिब्बल के बयान को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि ‘संवैधानिक रूप से राज्य सरकार के लिए यह कहना मुश्किल होगा कि 'मैं संसद द्वारा पारित कानून का पालन नहीं करूंगा।' यदि सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करता है तो यह कानून प्रभाव में रहेगा। अगर कोई चीज कानून की किताब में है तो आपको उसका पालन करना ही होगा वर्ना इसके दुष्परिणाम सामने आएंगे।’