नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिख दंगों में उनका नाम घसीटे जाने को लेकर सफाई दी है। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद कमलनाथ ने इसपर सफाई दी, उन्होंने कहा कि उन्होंने पहली बार 1991 में शपथ ली थी और उसके बाद भी कई बार शपथ ली लेकिन उस समय किसी ने भी कुछ नहीं कहा, उन्होंने आगे कहा कि सिख दंगों में उनके खिलाफ न तो कोई मामला दर्ज है, न ही कोई FIR हुई है और न ही कोई चार्जशीट है। उन्होंने दंगों में अपना नाम घसीटे जाने के पीछे की वजह राजनीति बताई।
गौरतलब है कि आज यानि सोमवार को ही सिख दंगों को लेकर कोर्ट ने दिल्ली के कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है, आज ही कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला है और उनके खिलाफ आज दिल्ली में प्रदर्शन हुआ है।
अकाली दल के लोकसभा सदस्य प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने सोमवार को उच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा ‘‘कांग्रेस सिख समाज को यह जवाब दे कि कमलनाथ को कैसे मुख्यमंत्री बना दिया गया जबकि उनके साथी को सिख दंगा मामले में उम्रकैद की सजा सुनायी जा रही है। मैं समझता हूं कि अगर कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया तो उसे सिख समाज का गुस्सा झेलना पड़ेगा।’’
पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर में भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। इस इलाके में 1984 के सिख विरोधी दंगों से प्रभावित कई परिवार रहते हैं। मुख्यमंत्री पद के लिये कमलनाथ का चयन करने के कांग्रेस के कदम का विरोध करते हुए बग्गा ने कहा, ‘‘उन्हें (कमलनाथ को) मुख्यमंत्री पद के लिए मनोनीत करने के राहुल गांधी के फैसले के खिलाफ मैं अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठा हूं। वह (कमलनाथ) वही व्यक्ति हैं जो दिल्ली में सिखों के खिलाफ दंगों में शामिल थे।’’
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