स्वतंत्रता दिवस: MP में अब नहीं होगा मीसाबंदियों का सम्मान, कमलनाथ सरकार ने नहीं दिया न्योता
कांग्रेस सरकार के दौरान इमरजेंसी में जेल गए मीसाबंदियों का 15 अगस्त और 26 जनवरी को होने वाला सम्मान कमलनाथ सरकार अब नहीं करेगी।
भोपाल: कांग्रेस सरकार के दौरान इमरजेंसी में जेल गए मीसाबंदियों का 15 अगस्त और 26 जनवरी को होने वाला सम्मान कमलनाथ सरकार अब नहीं करेगी। बीजेपी के 15 साल के शासन के दौरान शहीदों के साथ साथ मीसाबंदियों का सम्मान भी होता था लेकिन सात महीने पुरानी कमलनाथ सरकार शहीदों का सम्मान तो करेगी लेकिन मीसाबंदियों का नहीं। बीजेपी कमलनाथ सरकार के इस कदम पर कड़ा ऐतराज जता रही है। वहीं, कांग्रेस कह रही है कि मीसाबंदियों का सम्मान किसी भी कीमत पर नहीं होगा।
बता दें कि इंदिरा काल में लगे आपातकाल में सलाखों में कैद रहे मीसाबंदियों को भले ही देशभर में बीजेपी स्वतंत्रता सेनानी से कम नहीं मानती हो लेकिन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार की नजरों में मीसाबंदी 15 अगस्त और 26 जनवरी को सम्मान के लायक ही नहीं। यही वजह है कि सूबे के मुखिया कमलनाथ कह रहे हैं कि इस बार सिर्फ शहीदों का सम्मान किया जाएगा।
दरअसल इंदिरा सरकार में 1975 में इमरजेंसी लगाए जाने के दौरान जिन लोगो ने भी आंतरिक सुरक्षा अधिनियम मीसा और भारतीय रक्षा नियमों के तहत जेल काटी थी, उन्हें पेंशन देने की परंपरा 2008 में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने शुरू की थी। इसके साथ ही बाकायदा राष्ट्रीय पर्व पर मीसाबंदियों का सम्मान सभी जिला मुख्यालयों पर भी किया जाता रहा है।
- मध्य प्रदेश में फिलहाल 2326 मीसाबंदी 25 हजार रुपए महीने की पेंशन ले रहे हैं।
- साल 2008 में शिवराज सरकार ने मीसाबंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया।
- बाद में पेंशन राशि बढ़ाकर 10000 रुपये की गई
- 2017 में मीसाबंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25000 रुपये की गई।
- प्रदेश में 2000 से ज़्यादा मीसाबंदियों की पेंशन पर सालाना क़रीब 75 करोड़ का खर्च।
लेकिन कमलनाथ सरकार किसी भी कीमत पर मीसाबंदियों का सम्मान नहीं करने की बात कर रही है। ये पहली बार नहीं है जब मीसाबंदियों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने समाने हों। दिसंबर में कांग्रेस के मुख्यमंत्री के शपथ के 2 हफ्ते बाद ही मीसाबंदियों की मासिक पेंशन पर रोक लगा दी थी, विवाद हुआ तो कांग्रेस कहते नजर आई कि मीसाबंदियों को मिलने वाली पेंशन में ज्यादातर अपराधी थे ऐसे में उनकी जांच के बाद ही उन्हें पेंशन दी जाएगी। हालांकि मध्यप्रदेश में सत्यापन के बाद पेंशन मिलना शुरू हो चुकी है। लेकिन उनके सम्मान ना करने के कमलनाथ सरकार के फैसले को बीजेपी प्रतिशोध की राजनीति मान रही है।