नई दिल्ली। दुनियाभर से बाल मजदूरी को समाप्त करने के लिए हर साल 12 जून को अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस मनाया जाता है ताकी पूरी दुनिया को जागरूक किया जा सके और बच्चों के साथ होने वाले इस अत्याचार को रोका जा सके। भारत सहित दुनियाभर में बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का मानना है कि दुनियाभर में आज भी 15 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी के लिए मजबूर हैं जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने 2025 तक बाल मजदूरी को खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है।
एक अखबार में लिखे लेख के जरिए कैलाश सत्यार्थी बताते हैं कि दो दशक पहले यानि 2000 तक दुनियाभर में 26 करोड़ बाल मजदूर थे और बाल मजदूरी के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए प्रयासों के बाद अभी भी दुनियाभर में 15 करोड़ बच्चों को बाल मजदूरी का शिकार होना पड़ रहा है। कैलाश सत्यार्थी के मुताबिक जिस गति से दुनियाभर में अभी बाल मजदूरी को खत्म किया जा रहा है, अगर उसी गति से चलते रहे तो 2025 में भी दुनियाभर में 12 करोड़ बाल मजदूर रह जाएंगे जबकि 2025 तक इसे पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है।
कैलाश सत्यार्थी के लेख के मुताबिक मुताबिक बाल मजदूरी को खत्म करने में कोरोना वायरस की वजह से भी वाधा पैदा हुई है। लेख के मुताबिक मौजूदा कोरोना काल में बाल मजदूरी, बाल विवाह, वेश्यावृति और बच्चों का उत्पीड़न बढ़ने का खतरा है, ऐसे में पहले से भी ज्यादा ठोस उपायों की जरूरत है। लेख के अनुसार कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में 6 करोड़ नए बच्चे बेहद गरीबी में धकेले जा सकते हैं जिसकी वजह से बाल मजदूरी बढ़ेगी। कैलाश सत्यार्थी के मुताबिक अफ्रीकी देशों में जब इबोला महामारी फैली थी तब भी ऐसा ही हुआ था।
कैलाश सत्यार्थी के लेख के मुताबिक यदि समाज, सरकारें, उद्योग, व्यापार जगत, धार्मिक संस्थाएं, मीडिया, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां, और विश्व समुदाय अपने बच्चों के बचपन को सुरक्षित और खुशहाल नहीं बना पाए तो हम एक पूरी पीढ़ी को बर्बाद करने के दोषी होंगे।
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