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Hindi News भारत राष्ट्रीय जस्टिस एके सीकरी ने खुद को CSAT में नामित करने के लिए दी गई सहमति वापस ली

जस्टिस एके सीकरी ने खुद को CSAT में नामित करने के लिए दी गई सहमति वापस ली

न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने उस सरकारी प्रस्ताव के लिए दी गई अपनी सहमति रविवार को वापस ले ली जिसके तहत उन्हें लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (CSAT) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था।

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नई दिल्ली: न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने उस सरकारी प्रस्ताव के लिए दी गई अपनी सहमति रविवार को वापस ले ली जिसके तहत उन्हें लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (CSAT) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था। माना जा रहा है कि सरकार ने पिछले साल के अंत में सीएसएटी के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सीकरी के नाम की अनुशंसा की थी।

एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “जब इंसाफ के तराजू से छेड़छाड़ की जाती है तब अराजकता का राज हो जाता है।” सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रमंडल न्यायाधिकरण के पद के लिए सीकरी की सहमति “मौखिक रूप से” ली गई थी।

प्रधान न्यायाधीश के बाद देश के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के एक करीबी सूत्र ने बताया कि न्यायाधीश ने रविवार शाम को विधि मंत्रालय को लिखकर सहमति वापस ले ली। उन्होंने कहा कि आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने का फैसला लेने वाली समिति में न्यायमूर्ति सीकरी की भागीदारी को सीएसएटी में उनके काम से जोड़ने को लेकर लग रहे आक्षेप गलत हैं। सूत्रों ने कहा, “क्योंकि यह सहमति दिसंबर 2018 के पहले हफ्ते में ली गई थी, इसका सीबीआई मामले से कोई संबंध नहीं था जिसके लिए वह जनवरी 2019 में प्रधान न्यायाधीश की तरफ से नामित किए गए।” उन्होंने कहा कि दोनों को जोड़ते हुए “एक पूरी तरह से अन्यायपूर्ण विवाद” खड़ा किया गया।

सूत्रों ने कहा, “असल तथ्य यह है कि दिसंबर 2018 के पहले हफ्ते में सीएसएटी में पद के लिये न्यायमूर्ति की मौखिक स्वीकृति ली गई थी।” न्यायमूर्ति सीकरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ उस तीन सदस्यीय समिति में शामिल थे जिसने वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने का फैसला किया था। सीकरी का मत वर्मा को पद से हटाने के लिए अहम साबित हुआ क्योंकि खड़गे इस फैसले का विरोध कर रहे थे जबकि सरकार इसके लिए जोर दे रही थी।

सीएसएटी के मुद्दे पर सूत्रों ने कहा, “यह कोई नियमित आधार पर जिम्मेदारी नहीं है। इसके लिए कोई मासिक पारिश्रमिक भी नहीं है। इस पद पर रहते हुए प्रतिवर्ष दो से तीन सुनवाई के लिए वहां जाना होता और लंदन या कहीं और रहने का सवाल ही नहीं था।” सूत्रों ने कहा, “सरकार ने इस जिम्मेदारी के लिये पिछले महीने उनसे संपर्क किया था। उन्होंने अपनी सहमति दी थी। इस पद पर रहते हुए प्रतिवर्ष दो से तीन सुनवाई के लिए वहां जाना होता और यह बिना मेहनताना वाला पद था।”

सीकरी ने सरकार में सक्षम प्राधिकार को पत्र लिखकर अपनी सहमति वापस ले ली है। न्यायमूर्ति सीकरी के एक करीबी सूत्र ने कहा, “उन्होंने (सीकरी ने) अपनी सहमति वापस ले ली है। उन्होंने कोई कारण नहीं बताया है। वह महज विवादों से दूर रहना चाहते हैं।” सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि सीएसएटी में सीकरी के नामांकन पर केंद्र को “काफी बातों का जवाब देना होगा।” पटेल ने एक मीडिया रिपोर्ट को टैग करते हुए कहा, ‘सरकार को कई बातों का जवाब देने की जरूरत है।''

एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “जब इंसाफ के तराजू से छेड़छाड़ की जाती है तब अराजकता का राज हो जाता है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राफेल घोटाले को दबाने के लिये कुछ भी करने से नहीं चूकेंगे, वह सबकुछ बर्बाद कर देंगे। वह डरे हुए हैं। यह उनका डर है जो उन्हें भ्रष्ट बना रहा है और प्रमुख संस्थानों को बर्बाद कर रहा है।

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