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Hindi News भारत राष्ट्रीय जून में रिटेल महंगाई दर रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर, मई में औद्योगिक उत्‍पादन में भारी गिरावट

जून में रिटेल महंगाई दर रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर, मई में औद्योगिक उत्‍पादन में भारी गिरावट

सब्जियों, दालों व दूध से बने उत्पादों जैसी खाद्य वस्तुओं के सस्ता होने के कारण रिटेल महंगाई दर जून महीने में 1.54 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई। इससे भारतीय रिजर्व बैंक अगले महीने दर में कटौती की सोच सकता है।

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नई दिल्ली। सब्जियों, दालों व दूध से बने उत्पादों जैसी खाद्य वस्तुओं के सस्ता होने के कारण रिटेल महंगाई दर जून महीने में 1.54 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई। इससे भारतीय रिजर्व बैंक अगले महीने दर में कटौती की सोच सकता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्‍यन ने कहा, 1.54 प्रतिशत का यह आंकड़ा ऐतिहासिक निचला स्तर है और यह व्यापक आर्थिक स्थिरता में मजबूती को दिखाता है। उन्होंने कहा, मामूली रूप से अलग उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार मुद्रास्फीति का यह स्तर इससे पहले 1999 व उससे पहले अगस्त 1978 में रहा था।

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी ताजा आंकड़ों इस प्रकार हैं:

  • खाद्य उत्पाद खंड की मुद्रास्फीति कुल मिलाकर और घटकर 2.12 रह गई, जो कि मई में 1.05 प्रतिशत रही थी।
  • वहीं सब्जियों की मुद्रास्फीति घटकर 16.53 प्रतिशत व दाल दलहनों की 21.92 प्रतिशत रही।
  • प्रोटीन आधारित मांस व मछली उत्पाद इस दौरान महंगे हुए और इनकी मुद्रास्फीति जून में 3.49 प्रतिशत रही, जो कि मई में 1.87 प्रतिशत थी।
  • मासिक आधार पर फलों के दाम भी बढ़े।
  • ईंधन व बिजली खंड में खुदरा मुद्रास्फीति जून महीने में 4.54 प्रतिशत रही, जो मई में 5.46 प्रतिशत रही थी।
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औद्योगिक उत्‍पादन में गिरावट

मई में औद्योगिक उत्पादन (IIP) की वृद्धि दर घटकर 1.7 प्रतिशत रही। पिछले साल समान महीने में यह 8 प्रतिशत पर थी। वहीं अप्रैल महीने में औद्योगिक उत्‍पादन की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई थी। इसकी एक वजह सरकार द्वारा मई माह में आधार वर्ष 2004-05 से बदलकर 2011-12 करना भी है।मई में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्‍टर की वृद्धि दर घटकर 1.2 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 2.6 प्रतिशत थी। कंज्‍यूमर ड्यूरेबल्‍स की वृद्धि दर मई में गिरकर 4.5 प्रतिशत रही, जो इससे पहले माह अप्रैल में 6 प्रतिशत थी। इसी प्रकार मई माह में माइनिंग प्रोडक्‍शन घटकर 0.9 प्रतिशत रहा, जो कि अप्रैल में 4.2 प्रतिशत था।

आर्थिक गतिविधियों को और अधिक सही तरीके से देखने और वास्‍तविक आंकड़ों की जांच के लिए आईआईपी के आधार वर्ष में बदलाव करना बहुत जरूरी था। औद्योगिक उत्‍पादन को इंडेक्‍स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्‍शन (IIP) के जरिये मापा जाता है और इससे देश के कारोबारी क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को आंका जाता है।

नई सिरीज में, मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्‍टर का अधिभार 75.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 77.6 प्रतिशत किया गया है। बिजली की हिस्‍सेदारी इंडेक्‍स में 10.3 प्रतिशत से घटाकर 7.9 प्रतिशत की गई है और इसमें रिन्‍यूएबल एनर्जी सोर्स के डाटा को शामिल किया गया है।

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