जज लोया मौत केस: सभी मामले सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर, HC में सुनवाई पर रोक
सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने 12 जनवरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिन विषयों को उठाया था उसमे लोया का मामला भी शामिल था...
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बंबई उच्च न्यायालय में लंबित सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड कांड की सुनवाई कर रहे विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की 2014 में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु की निष्पक्ष जांच के लिये दायर दो याचिकाएं आज अपने यहां स्थानांतरित कर ली।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने संबंधित पक्षों से कहा कि लोया की मृत्यु से संबंधित वे सारे दस्तावेज जो अभी तक दाखिल नहीं किये गये हैं, उनकी विवरणिका पेश की जाये। न्यायालय इन दस्तावेज का, सुनवाई की अगली तारीख दो फरवरी को अवलोकन करेगा।
पीठ ने दो याचिकाओं में उठाये गए मुद्दों को ‘गंभीर’ बताते हुए कहा, ‘‘हमें सारे दस्तावेज बहुत ही गंभीरता से देखने चाहिए।’’ इस बीच, पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों से कहा कि लोया की मृत्यु के संबंध में दायर किसी भी याचिका पर वे विचार नहीं करें।
इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ उस समय नाराज हो गई जब बंबई लायर्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि सब कुछ उन्हें (शाह) को बचाने के लिए करा गया है। इस एसोसिएशन ने ही बंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है।
इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के कडे प्रतिवाद पर विचार के दौरान ही पीठ ने इस पर कडी आपत्ति करते हुए कहा, ‘‘आज की स्थिति के अनुसार यह स्वाभाविक मृत्यु है। फिर आक्षेप मत लगाईए।’’ सुनवाई के दौरान एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने संभावित भावी आदेश का निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि शीर्ष अदालत इस मामले में मीडिया पर अंकुश लगा सकता है।
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने अपनी नाराजगी वयक्त की और कहा, ‘‘मेरे प्रति यह न्याय संगत नहीं है। आप ऐसा नहीं कर सकतीं।’’ इसके साथ ही उन्होंने इन्दिरा जयसिंह से कहा कि वह अपने शब्द वापस लें और इसके लिए माफी मांगे। इन्दिरा जयसिंह ने अपना बयान वापस लेने के साथ ही क्षमा याचना कर ली।
इससे पहले, न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन याचिचकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था और कहा कि इन्हें उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए। ये याचिकायें कांग्रेस के तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बी एस लोने ने दायर की हैं। इस आदेश के बाद ही दोनों याचिकायें आज प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध हुईं थीं।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की एक दिसंबर, 2014 को उस समय अचानक हृदयगति रूक जाने से मृत्यु हो गयी थी जब वह अपने एक सहयोगी न्यायाधीश की पुत्री के विवाह में शामिल होने गए थे। शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिन विषयों को उठाया था उसमे लोया का मामला भी शामिल था।