नयी दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने इंटर हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन (आईएचए) के हॉस्टल मैनुअल में संशोधन करने के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी। इस संशोधन में फीस में बढ़ोतरी का प्रावधान है। याचिका जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष और उनके अन्य पदाधिकारियों साकेत मून, सतीश चंद्र यादव और मोहम्मद दानिश ने दाखिल की।
याचिका में 28 अक्टूबर 2019 को जारी आईएचए की कार्यवाही के विवरण, 24 नवंबर, 2019 को गठित उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र और उसकी सिफारिशों पर सवाल उठाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि आईएचए के फैसले दुर्भावनापूर्ण, मनमाने, अवैध और छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हैं।
वहीं मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक' ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों की मूल मांग मान ली गई है और अब कुलपति एम. जगदीश कुमार को हटाने की मांग उचित नहीं है। पोखरियाल ने साक्षात्कार में कहा कि विश्वविद्यालय में स्थिति अब सामान्य हो रही है। उन्होंने कहा, 'छात्रावास की फीस बढ़ोतरी को लेकर छात्रों की मूल मांग मान ली गई है। जेएनयू के कुलपति को हटाने की मांग अब उचित नहीं है, किसी को भी हटाना कोई समाधान नहीं है।'
गौरतलब है कि जेएनयू में फीस बढ़ोत्तरी के मुद्दे पर छात्रों का कई दिनों से आंदोलन चल रहा था लेकिन कुछ दिन पहले छात्रों के दो गुटों के बीच मारपीट और हिंसा की घटना हुई जिसमें कई घायल हो गए। छात्रों का आरोप था कि बाहरी लोगों ने आकर कैंपस में मारपीट की है। देखते ही देखते यह घटना पूरे देश में सुर्खी बन गया और इसके विरोध में कई दूसरे विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन शुरू हो गए। फिलहाल इस मामले में अब दिल्ली पुलिस ने कई लोगों की पहचान की है और छात्रों से भी पूछताछ जारी है।
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