नई दिल्ली: एर्नाकुलम की एक अदालत ने पिछले साल केरल में एक दलित महिला के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले में असम के अमीरुल इस्लाम को मौत की सजा सुनाई। इससे पहले एर्नाकुलम की अदालत ने 12 दिसंबर को असम के आव्रजक श्रमिक अमीरुल इस्लाम को दोषी करार दिया था। 27 वर्षीय कानून की छात्रा जिशा 28 अप्रैल 2016 को अपने आवास के समीप मृत पाई गई थी। उसकी मां राजेश्वरी ने उसके शव को पाया था। राजेश्वरी अस्थायी श्रमिक के रूप में काम करतीं हैं। हत्या विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले हुई थी, जिसके बाद विपक्ष ने केरल में महिला सुरक्षा को लेकर राज्य की ओमान चांडी सरकार पर निशाना साधा था।
गौरतलब है कि, 2016 में लॉ की छात्रा 30 वर्षीय जिशा पेरुमबवूर स्थित अपने घर पर मृत पायी गयी थी। केरल स्थित एर्नाकुलम के सेशन कोर्ट ने 6 दिसंबर को इस मामले में सुनवाई पूरी की और फैसला सुनाया था। जिशा की मां व अन्य प्रॉसीक्यूशन ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस बताया।
आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत यह मामला दर्ज किया गया था। अप्रैल में शुरू हुई जांच के दौरान 100 से ज्यादा गवाहों की जांच हुई थी। पुलिस ने बताया था कि खून से सने जूते पीड़िता के घर के पास नाले से मिले जो प्राप्त किए गए सबूतों में से एक था। इस बर्बर अपराध के बाद अमीरुल तुरंत पेरुमबवूर से फरार हो गया था। 50 दिनों बाद उसे कांचीपुरम में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
अपराधी ने जिशा के साथ इतना दर्रिंदगी दिखाई थी कि लोगों को दिल्ली के निर्भया कांड की याद आ गई। आरोपी ने जिशा का ना सिर्फ बलात्कार किया, बल्कि उसके निजी अंगों को भी नुकसान पहुंचाया और उसकी आंत तक बाहर निकाल दी। इस घटना को लेकर पूरे केरल में हड़कंप मच गया था।
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