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Hindi News भारत राष्ट्रीय जेसी वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी के निदेशकों को कोष के गबन के मामले में गिरफ्तार किया गया

जेसी वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी के निदेशकों को कोष के गबन के मामले में गिरफ्तार किया गया

जांच के दौरान, नोएडा प्राधिकरण ने पुलिस को सूचित किया कि कंपनी ने 2015 में परियोजना के लिए एक भवन योजना को मंजूरी देने के लिए आवेदन किया था, जिसे कुछ आपत्तियों के साथ कंपनी को वापस कर दिया गया था और उन्हें संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया गया था।

JC World Hospitality directors Vijay Kant Dixit Rita Singh arrested जेसी वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी के निदे- India TV Hindi Image Source : ATUL BHATIA जेसी वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी के निदेशकों को कोष के गबन के मामले में गिरफ्तार किया गया

नई दिल्ली. जेसी वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डॉ विजयकांत दीक्षित और उनकी पत्नी रीता सिंह को उनकी आगामी परियोजना में दुकानों के आवंटन के बहाने से खरीदारों से करीब 12 करोड़ रुपये ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने मंगलवार को बताया कि उन्हें पैसों का गबन करने के आरोप में ग्रेटर नोएडा स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने बताया कि जांच में पता चला है कि उनकी कंपनी ने 2014 में एक परियोजना शुरू की थी और खरीदारों से पैसे लिए थे और उनसे वादा किया गया था कि उन्हें बुकिंग की तारीख से 30 महीने के भीतर उनकी दुकान का कब्जा दे दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि धीरेंद्र नाथ व अन्य की शिकायत पर शुरुआती जांच के बाद 2020 में कंपनी और उसके दो निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

नाथ ने आरोप लगाया कि उन्होंने 2014 में कंपनी की नोएडा स्थित परियोजना "जेसी वर्ल्ड मॉल" में दो दुकानें बुक कराई थी। उन्होंने कंपनी को विभिन्न किस्तों में 1,75,88,330 रुपये का भुगतान किया था और उनसे आवंटन पत्र की तारीख से 30 महीनों के अंदर दुकानों का कब्जा देने का वादा किया गया था। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बिल्डर ने निर्माण कार्य पूरा नहीं किया था और पिछले 18 महीनों से स्थल पर कोई काम नहीं किया गया।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (आर्थिक अपराध इकाई) आरके सिंह ने कहा कि कंपनी के निदेशकों के साथ कई बैठके हुईं लेकिन कुछ नहीं हुआ और उन्होंने सिर्फ झूठे वादे किए। अधिकारी ने कहा, “यह भी आरोप लगाया गया कि निदेशकों ने अपनी परियोजना में दुकानें उपलब्ध कराने के बहाने से कई खरीदारों के साथ धोखाधड़ी की। कथित कंपनी ने अपना वादा पूरा नहीं किया और खरीदारों के पैसे को इधर-उधर कर दिया और पैसे का गबन किया। यह भी पाया गया कि कंपनी ने न तो पैसा लौटाया और न ही परियोजना को पूरा किया। 30 से अधिक शिकायतकर्ता हैं और कुल करीब 12 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।”

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