श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर सरकार ने भ्रष्टचार को लेकर अपनी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर एक और कदम आगे बढ़ाते हुए गुरुवार को जम्मू कश्मीर सिविल सेवा विनियम के अनुच्छेद 226 (2) के तहत 8 दागी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। नियम के मुताबिक, सरकार जनहित में 22 वर्ष की अर्हक सेवा पूरी करने या 48 साल का होने के बाद किसी कर्मचारी को सेवानिवृत्त कर सकती है। सभी 8 कर्मचारियों को भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप में बर्खास्त किया गया है।
इन 8 कर्माचारियों को किया गया बर्खास्कत
जम्मू-कश्मीर सरकार ने रवींदर कुमार भट, मोहम्मद कासिम वानी, नूर आलम, मोहम्मद मुजीब-उर-रहमान, डॉक्टर फयाज अहमद, गुलाम मोही-उद-दीन, राकेश कुमार, परषोत्तम कुमार को सेवा से बर्खास्त किया है। जम्मू-कश्मीर के 8 ‘दागी’ अधिकारियों पर जम्मू कश्मीर सिविल सेवा विनियम के अनुच्छेद 226 (2) के तहत करप्शन और कदाचार के आरोप पर यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत की गई है।
बता दें कि, रवींदर कुमार भट जेएंडके के रूसा में मिशन डायरेक्टर थे। वहीं मोहम्मद कासिम वानी सर्वे एंड लैंड रिकॉर्ड्स श्रीनगर के रिजनल डायरेक्टर थे। नूर आलम एआरआई एंड ट्रेनिंग डिपार्टमेंट में डिप्टी सेक्रेट्री के पद पर तैनात थे।
बता दें कि इससे पहले 16 अक्टूबर को पाकिस्तान समर्थक सैयद अली शाह गिलानी के पोते और डोडा के एक शिक्षक को जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों का कथित तौर पर साथ देने के लिए सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। उप राज्यपाल ने इन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 (दो) में प्राप्त शक्तियों के तहत तथ्यों और परिस्थितियों की पड़ताल करने के बाद बर्खास्त किया था। संविधान के इस प्रावधान के तहत बर्खास्त किये गए कर्मचारी अपनी बर्खास्तगी को केवल जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं।
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