श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बीते शुक्रवार की शाम चार और नेताओं को हाउस अरेस्ट से रिहा कर दिया। नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नजीर गुरेजी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के अब्दुल हक खान, पीपल्स कॉन्फ्रेंस (झPC) के मोहम्मद अब्बास वानी और कांग्रेस के अब्दुल रशीद को रिहा किया गया है। यह सभी पांच 5 अगस्त से नजरबंद थे। दरअसल, पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निष्क्रिय कर दिया गया था। इसके साथ ही राज्य में शांति बनाए रखने का हवाला देते हुए प्रशासन ने सैकड़ों लोगों को नजरबंद किया था।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के हालातों का सामान्य होता देख प्रशासन ने एहतियात के तौर पर घाटी में हिरासत में लिए 5 बड़े नेताओं को भी रिहा किया था। हिरासत में लिए गए दो पूर्व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक, दो पूर्व नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के विधायक और एक पूर्व निर्दलीय विधायक को 30 दिसंबर 2019 को रिहा किया गया था। फिलहाल, खबरें हैं कि राज्य के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवा भी पहले ही बहाल की चा चुकी है और स्कूल तथा अन्य शिक्षण संस्थान भी निर्धारित समय अवधि के अनुसार चल रहे हैं।
बता दें कि केंद्र की भाजपा सरकार अनुच्छेद 370 को आतंकवाद की नजर से देखती रही है। सरदार वल्लभभाई पटेल की 144वीं जयंती (31 दिसंबर) के मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मुख्य रास्ते थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों को समाप्त कर उस प्रवेशद्वार को बंद कर दिया है। हालांकि, सरकार के इस कदम को विपक्ष ने पूरी चुनौती दी। इतनी ही नहीं विपक्ष अभी तक भी इस मुद्दे को उठाकर केंद्र सरकार पर निशाना साधता रहता है।
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