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पहले फेसबुक LIVE फिर प्रदर्शन के दौरान चला दी गोली, जामिया गोलीकांड की इनसाइड स्टोरी

गोली जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र शादाब के हाथ में लगी। अगले ही पल पुलिसवालों ने गोली चलाने वाले सिरफिरे को पकड़ लिया लेकिन फायरिंग के बाद जामिया के छात्रों का गुस्सा और दहकने लगा।

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नई दिल्ली: कल यानी गुरुवार 30 जनवरी 2020 को पूरा देश दिल्ली के जामिया गोलीकांड को देखकर सन्न रह गया। इस मामले में एफआईआर दर्ज हो गई है और दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी अब इस घटना की जांच करेंगे लेकिन दिल्ली में राजनीति का माहौल गर्म हो गया है। पूरा विपक्ष एक तरफ और बीजेपी एक तरफ। देर रात तक दिल्ली के कई इलाकों में पुलिस के खिलाफ हल्ला बोल होता रहा।

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से लेकर राजघाट तक CAA और NRC के विरोध में मार्च निकाला जा रहा था। एक तरफ प्रदर्शनकारी आगे बढ़ रहे थे तो दूसरी तरफ पूलिस बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए खड़ी थी लेकिन पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथ में पिस्टल लहराते हुए एक युवक आ गया और महज 25 सेकंड के अंदर पूरी तस्वीर बदल गई।

नागरिकता कानून के खिलाफ जब जामिया में हजारों छात्रों के बीच फायरिंग की आवाज गूंजी है, तो हर तरफ अफरा-तफरी मच गई। गोली जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र शादाब के हाथ में लगी। अगले ही पल पुलिसवालों ने गोली चलाने वाले सिरफिरे को पकड़ लिया लेकिन फायरिंग के बाद जामिया के छात्रों का गुस्सा और दहकने लगा। पुलिस की अपील, बेअसर हो गई और मार्च को खत्म करने के लिए पुलिस छात्रों को उठा-उठा कर गाड़ियों में भरने लगी।

जामिया के छात्रों के सामने पुलिस की हर गुजारिश फेल हो रही थी क्योंकि छात्रों को लगता है कि अगर पुलिस चाहती तो गोली नहीं चलती। छात्रों का एक संगठन जामिया में पुलिस के सामने था और दूसरा संगठन पुलिस मुख्यालय पर था। गुस्साये छात्रों ने शाहीन बाग की तर्ज पर आईटीओ के रास्ते को भी बंद कर दिया।

हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा था। आधी रात के बाद भी जामिया से लेकर आईटीओ पुलिस मुख्यालय तक नारेबाजी होती रही, हंगामा होता रहा। जामिया का पूरा इलाका पुलिस छावनी बना था। हंगामे और नारेबाजी के बीच घायल छात्र शादाब को देखने वालों की एम्स के ट्रामा सेंटर में कतार लग गई। शादाब पर हुई फायरिंग के इस मामले को क्राइम ब्रांच देखेगी।

इस गोलीकांड ने दिल्ली पुलिस के रवैये पर एक नहीं हजार सवाल उठा दिए हैं। सवाल ये है कि सोशल मीडिया पर ये लड़का लगातार मरने-मारने की धमकी दे रहा था, उसके पोस्ट को सैकड़ों लोग शेयर कर रहे थे फिर साइबर क्राइम टीम की इस पर नजर क्यों नहीं पड़ी। सवाल ये भी है कि ये सिरफिरा 22 सेंकड तक पिस्टल लहराता रहा लेकिन पुलिस तमाशबीन क्यों बनी रही, उसे पकड़ने की कोशिश क्यों नहीं की?

नागरिकता बिल का विरोध करने वाले सियासी चेहरे भी पूछ रहे हैं कि क्या किसी के इशारे पर लड़के ने गोली चलाई। पूरा का पूरा विपक्ष अब सरकार पर आरोपों की बौछार कर रहा है। लोकतंत्र में विरोध का अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी सबके पास हैं लेकिन विरोध के नाम पर हिंसा करना, तोड़फोड़ करना, मारपीट करना और गोली चलाना संविधान और देश का कानून इसकी इजाजत किसी को नहीं देता।

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