नई दिल्ली: अमेरिका की केंद्रिय जांच एजेंसी (CIA) के दस्तावेजों में यह खुलासा हुआ है कि जैश-ए-मोहम्मद के पूर्ववर्ती संगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के जरिए फंडिंग प्राप्त हुई थी। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इन संगठनों ने पर्याप्त धन न मिलने की शिकायत भी की थी।
अमेरिका की जांच एजेंसी CIA ने अपने एक विस्तृत नोट में बताया कि 1994 में कश्मीर में अपनी गिरफ्तारी के वक्त मसूद अज़हर हरकत-उल-अंसार का जनरल सेक्रेटरी था। उस समय इस संगठन को पाकिस्तान की एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (ISI) से पैसा मिला था। पर बाद में पाकिस्तान ने उसे वापस ले लिया था ताकि उसे राज्य प्रायोजित आतंक फैलाने वाले देशों की लिस्ट में न डाल दिया जाए।
इस रिपोर्ट में बताया गया कि कूटनीतिक रिपोर्ट्स इस ओर इशारा करती हैं कि पाकिस्तान के ISI ने कम से कम 30,000 से 69,000 अमेरिकी डॉलर के बीच पैसे की मदद हरकत-उल-अंसार को दी थी। CIA की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संगठन मुख्यत: भारत के खिलाफ काम करता था लेकिन इसने पश्चिमी देशों के नागरिकों को भी बंधक बनाया था। CIA ने इस रिपोर्ट को 1996 में बनाया था पर पिछले साल ही इसे सार्वजनिक किया गया।
CIA की यह रिपोर्ट भारतीय एजेंसियों के उस आकलत से मेल खाती है कि रकत-उल-अंसार जो कि मसूद अज़हर के 1999 की कंधार हाइजैकिंग में छोड़े जाने के बाद जैश-ए-मोहम्मद बना, उसे पाकिस्तानी सरकार ने पैसे, मदद और ट्रेनिंग में मदद की थी। भारतीय खुफिया एजेंसिया यह मानती है कि हरकत-उल-अंसार को अमेरिका द्वारा विदेशी आतंकवादी संगठन मान लिए जाने के बाद मसूद अजहर ने इसका नाम बदलकर हरकत उल मुजाहिदीन रख दिया था।
खुफिया जानकारी के मुताबिक मसूद को आर्थिक मदद जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना के लिए केवल ISI से ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और अंतरराष्ट्रीय आतंकी ओसामा बिन लादेन से भी मिली थी। इनके बीच संबंध कराची स्थित बिनोरिया मदरसा के जरिए स्थापित हुए थे।
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