नई दिल्ली: औलाद सुख-दुख में हमेशा उनके साथ खड़ी रहे ये हर मां-बाप की इच्छा होती है लेकिन आज के वक्त में बहुत कम लोग ऐसे हैं जिनके बच्चे बुढ़ापे में उनका साथ देते हैं। ऐसा ही जयपुर की गीता अग्रवाल के साथ हुआ जिनकी बेटी ने समाज के सामने एक मिसाल पेश की है। सोशल मीडिया पर गीता की बेटी के इस प्रयास को काफी सराहा जा रहा है। सवाल-जवाब से जुड़ी एक ब्लॉगिंग वेबसाइट क़ोरा (Quora) पर साहसी बेटी के पोस्ट को 2 लाख से ज्यादा लोग पढ़ चुके हैं।
दरअसल जयपुर के एक स्कूल में पढ़ाने वाली गीता के पति मुकेश गुप्ता की 2016 में हार्ट अटैक से मौत हो गई। वह अपने पति की मौत का गम सहन नहीं कर सकी और सदमे में चली गई। इसी दौरान उनकी बेटी संहिता भी काम के सिलसिले में गुड़गांव आ गई, जिसके बाद वह बिल्कुल अकेली हो गई। संहिता ने बताया कि मां को अकेला छोड़ने के बाद वह खुद को कोसती रहती थी हालांकि हफ्ते के अंत में वह जयपुर जाती थी।
विधवा मां को इस हालत में नहीं देख पाई बेटी, उठाया ऐसा कदम कि सभी रह गए हैरान
संहिता से ये नहीं देखा गया और बेटी ने मां की दूसरी शादी कराने की सोची और मेट्रीमोनियल साइट पर मां का प्रोफाइल अपलोड कर दिया, जिसमें मोबाइल नंबर अपने दर्शाए। इसके बाद से ही संहिता के फोन पर कई लोगों के फोन आने लगे और अब संहिता के आगे चुनौती थी कि वह मां को शादी के लिए कैसे मनाए। जयपुर आकर संहिता ने मां से इस बारे में बात की और उन्हें काफी समझाने के बाद शादी के लिए राजी किया।
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संहिता को अक्टूबर, 2017 में 55 वर्षीय कृष्ण गोपाल गुप्ता का फोन आया था। वह बांसवारा में रिवेन्यू इंस्पेक्टर हैं। उनकी पत्नी का कैंसर के कारण वर्ष 2010 में निधन हो गया था, उनके दो बेटे हैं। दोस्तों ने उन्हे दूसरी शादी करने की सलाह दी और मैट्रीमोनियल साइट पर अकाउंट भी बना दिया। संहिता से जब केजी गुप्ता ने संपर्क किया तो पूरी छानबीन करने के बाद उसने पाया कि यही उनकी मां के लिए सही मैच हो सकता है। आखिरकार 31 दिसंबर को दोनों की शादी हो गई। संहिता ने इस शादी पर कहा कि वह अपनी मां के चेहरे पर मुस्कान देखकर बहुत खुश है।
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