नई दिल्ली: जय श्रीराम के नारे पर उठे विवाद में अब नोबेल विजेता अमर्त्य सेन कूद पड़े हैं। अमर्त्य सेन ने जय श्रीराम को बंगाल की संस्कृति से ही अलग कर दिया। जाधवपुर यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में अमर्त्य सेन ने कहा कि जय श्रीराम बंगाल की संस्कृति में है ही नहीं। जय श्रीराम के नारे का इस्तेमाल सिर्फ लोगों को पीटने के लिए हो रहा है।
सेन ने कोलकाता में जाधवपुर यूनिवर्सिटी में कहा कि ‘मां दुर्गा’ बंगालियों के जीवन में सर्वव्याप्त हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जय श्री राम नारा बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है।’’ उन्होंने कहा कि आज कल राम नवमी ‘‘लोकप्रियता हासिल’’ कर रही है और उन्होंने पहले कभी इसके बारे में नहीं सुना था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपनी चार साल की पोती से पूछा कि उसके पसंदीदा भगवान कौन है? उसने जवाब दिया कि मां दुर्गा। मां दुर्गा हमारी जिंदगी में मौजूद हैं। मुझे लगता है कि जय श्री राम जैसा नारा लोगों को पीटने के लिए आड़ के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।’’
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