नयी दिल्ली। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में स्थित भारतीय दूतावास में मौजूद राजनयिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के सशस्त्र बलों की टुकड़ी को सौंपी गई है और वे जब तक जरुरत होगी वहीं मौजूद रहेंगे। अधिकारियों ने सोमवार को इस आशय की जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि आईटीबीपी के कर्मी वहां देश में मौजूद अंतिम कुछ राजनयिक कर्मचारियों में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आईटीबीपी की सुरक्षा इकाई दूतावास के कर्मचारियों की सुरक्षा कर रही है। जब तक जरुरत होगी, वे इस जिम्मेदारी को निभाएंगे। अफगानिस्तान में तेजी से बदलते हालात के मद्देनजर हालांकि उन्होंने देश में मौजूद सशस्त्र बल के कर्मियों की संख्या बताने से इंकार कर दिया।
काबुल स्थित भारतीय दूतावास परिसर, राजनयिकों और अन्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए पहली बार 2002 में आईटीबीपी को अफगानिस्तान भेजा गया था। बाद में भारत ने जलालाबाद, कंधार, मजारे-ए-शरीफ और हेरात में स्थित भारतीय मिशनों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बलों को भेजा। युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान में मौजूदा संकट और कोविड-19 के कारण वहां आने वालों लोगों की कमी के कारण विभिन्न मिशन परिसरों को बंद कर दिया गया है और वहां से कर्मियों को वापस बुला लिया गया है।
अफगानिस्तान में मौजूद राजनयिकों पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने सोमवार को कहा कि वह लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है और अपने नागरिकों की सुरक्षा तथा देश में अपने हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में हालात पर उच्च स्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है। सरकार भारतीय नागरिकों और अफगानिस्तान में हमारे हितों की रक्षा और सुरक्षा के लिए सभी संभव कदम उठाएगी।’’ बागची ने कहा, ‘‘काबुल में सुरक्षा हालात पिछले कुछ दिनों में बहुत खराब हुए हैं। यहां तक कि हालात अभी भी लगातार बदल रहे हैं।’’
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