देहरादून। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के कर्मियों ने उस तपोवन विद्युत परियोजना क्षेत्र में स्थित एक सुरंग से एक-एक करके कई व्यक्तियों को सुरक्षित बाहर निकाला जो रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में एक ग्लेशियर के टूटने से आई बाढ़ से बह गई थी। आईटीबीपी ने इस अभियान का एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में बचावकर्मी सुरंग से एक रस्सी के जरिये व्यक्तियों को सुरंग से बाहर निकालते हुए ‘दम लगाके हइशा’ बोलते नजर आ रहे हैं।
अपना भाई आ गया...
मौके पर मौजूद लोग बचावकर्मियों को 'बहुत बढ़िया’, ‘शाबाश’, ‘जो बोले सो निहाल’ और ‘जय हो’ के नारों के साथ प्रेरित करते दिख रहे हैं। सुरंग से बचाए गए श्रमिकों में से एक को एक लंबी छलांग लेते देखा गया। वहीं आईटीबीपी के जवानों ने उसकी पीठ इसके लिए थपथपायी कि आपदा की चपेट में आने और कीचड़ में सने होने के बावजूद उसने धैर्य और धीरज का परिचय दिया। परियोजना क्षेत्र में काम करने वाले एक स्थानीय ने कहा, ‘‘अपना भाई आ गया’’।
नयी ज़िन्दगी मिली...
वहीं एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘नयी ज़िन्दगी मिली’’ (उन्हें जिन्हें बचाया गया)। सुरक्षा उपकरण और हेलमेट पहने कर्मियों वाली बल की कई टीमों को जोशीमठ स्थित आईटीबीपी की पहली बटालियन बेस से और औली स्थित आईटीबीपी पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान से तपोवन बिजली परियोजना स्थल पर खोज और बचाव कार्यों के लिए भेजा गया था।
जानिए कब हुआ हादसा
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडेय ने दिल्ली में कहा कि जोशीमठ बेस पर तैनात बल के कर्मियों ने पूर्वाह्न 10:45 बजे के बाद ‘‘एक बड़े धमाके और लोगों की चीख’’ सुनी। यह आवाज तब सुनी गई जब चमोली के रेनी गांव के पास दो बांध स्थलों पर पानी की तेज धार पहुंची। पांडेय ने कहा, ‘‘अब तक कुल 12 श्रमिकों को सुरंग स्थल से बचाया जा चुका है। एक दूसरी सुरंग भी है जहां बचाव दल के लोग काम कर रहे हैं।’’
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