ISRO ने श्रीहरीकोटा से लॉन्च किया भारत का 100वां सेटेलाइट, पाक-चीन की तबियत हुई खराब
कार्टोसैट 2 मिशन के इस सैटेलाइट को भारत के सबसे विश्वसनीय रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल यानी PSLV से अंतरिक्ष में भेजा गया। इस सैटेलाइट के साथ देश-विदेश के कुल 31 सैटेलाइट्स भी अंतरिक्ष में भेजे गए।
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के लिए आज बेहद ही अहम दिन है। आज भारत ने अंतरिक्ष में सेटेलाइट भेजने की सेंचुरी पूरी कर ली है। स्पेस के क्षेत्र में हिंदुस्तान की ये कामयाबी सबसे बड़ी और बेहद खास है क्येंकि ये कामयाबी सिर्फ स्पेस टेक्नोलॉजी के लिहाज से ही अहम नहीं है बल्कि अंतरिक्ष में हिंदुस्तान की सेंचुरी से पाकिस्तान और चीन दोनों की नींद हराम होने वाली है। इसरो ने आज जिस सेटेलाइट को लॉन्च किया है वो हजारों किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष से ड्रैगन और टेररिस्तान की कारगुजारियों पर नजर रखेगा। उसकी हर चाल पर नजर रखेगा। अंतरिक्ष की दुनिया में अपना लोहा मनवा चुका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेश सेंटर से अपने 100वें सैटेलाइट को लॉन्च किया है। कार्टोसैट 2 मिशन के इस सैटेलाइट को भारत के सबसे विश्वसनीय रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल यानी PSLV से अंतरिक्ष में भेजा गया। इस सैटेलाइट के साथ देश-विदेश के कुल 31 सैटेलाइट्स भी अंतरिक्ष में भेजे गए जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, फ़िनलैंड, कनाडा और रिपब्लिक ऑफ कोरिया भी शामिल है।
अंतरिक्ष में 'इंडियन जासूस'
- इसरो का कार्टोसैट-2 एक रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है
- 31 सैटेलाइट्स में सबसे ज्यादा पे-लोड कार्टोसैट-2 का ही है
- कार्टोसैट-2 सैटेलाइट का वजन 710 किलोग्राम है
- कार्टोसैट सैटेलाइट high-resolution तस्वीरें खींचता है
- कार्टोसैट सीरीज के सैटेलाइट को 'आई इन द स्काई' भी कहते हैं
- मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे से कार्टोसैट-2 करता है धरती पर निगरानी
- 2017 की सर्जिकल स्ट्राइक में सैटेलाइट से मिली थी मदद
- भारत के बॉर्डर इलाकों पर नजर रखने में भी इसका इस्तेमाल
- भारत-पाक बॉर्डर पर आतंकी गतीविधियों की तस्वीरें मिलेंगी
- भारत-चीन बॉर्डर से चीनी सैनिकों की घुसपैठ की जानकारी मिलेगी
- कार्टोसैट-2 सैटेलाइट से तटीय और शहरी-ग्रामीण क्षेत्र में निगरानी
- कार्टोसैट-2 सैटेलाइट से सड़कों और पानी की आपूर्ति की भी निगरानी
- कार्टोसैट-2 से मिले डेटा का इस्तेमाल नक्शे बनाने में किया जाएगा
अंतरिक्ष में अब तक 100
- 15 अगस्त, 1969 - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का गठन
- 19 अप्रैल, 1975 - भारत का पहला सैटेलाइट 'आर्यभट्ट' लॉन्च
- 18 जुलाई, 1980 - पहले देसी यान SALV-3 से RS-1 लॉन्च
- 19 जून, 1981 - पहला जियो स्टेशनरी उपग्रह APPLE लॉन्च
- 17 मार्च, 1988 - रिमोट सेन्सिंग वाला उपग्रह IRS-1A लॉन्च
- 10 जुलाई, 1992 - इनसैट सीरिज का INSAT-2A लॉन्च
- 29 सितंबर, 1997 - PSLV यान से IRS-1D उपग्रह भेजा
- 12 सितंबर, 2002 - कल्पना चावला के नाम पर कल्पना सैटेलाइट
- 20 सितंबर, 2004 - शिक्षा पर आधारित पहला सैटेलाइट जीसेट-3
- 22 दिसंबर, 2005 - डीटीएच नेटवर्क के लिए INSAT-4A लॉन्च
- 12 जुलाई, 2010 - सबसे हल्का 1 किलो वजनी 'StudSat' लॉन्च
- 26 अप्रैल, 2012 - मौसम की जानकारी देने वाला RISAT-1
- 1 जुलाई, 2013 - इसरो ने भारत का नेविगेशन उपग्रह लॉन्च किया
- 15 फरवरी, 2017 - PSLV-3 से एक साथ 104 उपग्रह लॉन्च
- 5 मई 2017 - सार्क देशों की मदद से जीसेट-9 उपग्रह लॉन्च
- 29 जून, 2017 - सबसे भारी 3477 KG का जीसेट-17 लॉन्च
- 12 जनवरी, 2018 - इसरो के 100वें उपग्रह की लॉन्चिंग
इसरो के मुताबिक कार्टोसैट-2 एक रिमोट सेंसिंग उपग्रह है। आज लॉन्च होने वाले 31 सैटेलाइट्स में सबसे ज्यादा पे-लोड कार्टोसैट-2 का ही है। सिर्फ कार्टोसैट-2 सैटेलाइट का वजन 710 किलोग्राम है जबकि आज लॉन्च होने वाले सभी 31 सैटेलाइट्स का कुल वजन 1323 किलोग्राम है। कार्टोसैट सीरीज के सैटेलाइट्स high-resolution तस्वीरें उतारने में सक्षम है। इसी खासियत की वजह से इनको 'आई इन द स्काई' भी कहा जाता है। भारत के लिए ये एक ऐसे जासूस की तरह काम करता है जो धरती पर होने वाली हरकतों पर करीब से निगरानी रखता है।
कार्टोसैट-2सी सीरीज के सैटेलाइट का सबसे पहली बार इस्तेमाल 2016 में पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त हुआ था। सेना को एलओसी पर आतंकियों के लॉन्च पैड तबाह करने में इस सीरीज के सैटेलाइट से काफी मदद मिली थी। आज के मिशन में कार्टोसैट-2 के अलावा भारत का दूसरा सैटेलाइट नैनो सैटेलाइट है जबकि तीसरा माइक्रोसैट है जो इस मिशन के दौरान सबसे आखिर में धरती की कक्षा में एंटर करेगा और यही इसरो का सौवां सैटेलाइट होगा। खास बात ये है कि इस माइक्रोसैट का वजन भी करीब 100 किलोग्राम है।