नई दिल्ली: इसरो ने आज एक बार फिर इतिहास रच दिया। इसरो ने अपना आठवां रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च किया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पेड से IRNSS- 1H की लॉन्चिंग हुई। पीएसएलवी-सी 39 की मदद से इसे अंतरिक्ष में छोड़ा गया। 70 वैज्ञानिकों के दल ने इस सैटेलाइट को तैयार किया है।
बता दें कि ये पहला मौका जब इसरो ने इस सैटेलाइट को बनाने में प्राइवेट सेक्टर की मदद ली है। बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी ने इस सैटेलाइट को बनाया है। IRNSS-1H को भारत ने अमेरिका के जीपीएस की तर्ज पर विकसित किया है जिससे देशी जीपीएस की क्षमता बढ़ेगी।
ये सैटेलाइट भारत के देशी जीपीएस सिस्टम का आठवां सदस्य है। इस सैटेलाइट को विदेशों में बनने वाले किसी भी सैटेलाइट की लागत के मुकाबले लगभग एक तिहाई से भी कम खर्च में तैयार किया गया। 1 हज़ार 420 करोड़ की लागत से बने इस सैटेलाइट का वजन 1425 किलोग्राम है।
क्या-क्या फायदा मिलेगा?
- इस सैटेलाइट की मदद से लोकेशन बेस्ड सर्विस जैसे कि रेलवे, सर्वे, इंडियन एयर फोर्स, डिजास्टर मैनेजमेंट को बड़ी मदद मिलेगी।
- आने वाले समय में IRNSS-1H जीपीएस की जगह लेगा।
- मछुआरों को खराब मौसम, ऊंची लहरों और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास पहुंचने से पहले सतर्क होने का संदेश देगा।
- ये सेवा स्मार्टफोन पर एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के जरिए उपलब्ध होगी।
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