चेन्नई: अंतरिक्ष के लिए अपने मानव मिशन लक्ष्य की दिशा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की। ISRO ने गुरुवार को अंतरिक्ष यात्री बचाव प्रणाली (क्रू इस्केप सिस्टम) की सीरीज का पहला परीक्षण किया जो सफल रहा। इसरो ने एक बयान में कहा कि क्रू एस्केप सिस्टम की विश्ववसनीयता और प्रभावशीलता को परखने के लिए सिलसिलेवार परीक्षण में यह पहला अभियान था। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, ‘यह लॉन्च के असफल होने की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों के साथ क्रू मॉड्यूल को जल्दी से परीक्षण यान से निकालकर सुरक्षित दूरी पर ले जाने की एक प्रणाली है।’
इसरो के अनुसार, ‘प्रथम परीक्षण (पैड निष्फल परीक्षण/पैड अबॉर्ट टेस्ट) में लॉन्च पैड पर किसी भी जरूरत पर क्रू सदस्यों को सुरक्षित बचाने की क्रियान्वयन को दिखाया गया।’ इसरो के अनुसार, 5 घंटों की उल्टी गिनती सुचारु रूप से हुई। इसके बाद यात्री बचाव प्रणाली ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह सात बजे 12.6 टन की क्षमता वाले कृत्रिम क्रू मॉड्यूल के साथ उड़ान भरी। परीक्षण का समय 259 सेकंड रहा, जिस दौरान यात्री बचाव प्रणाली ने अंतरिक्ष में ऊंची उड़ान भरी और बंगाल की खाड़ी में वृत्ताकार घूमते हुए अपने पैराशूट्स से पृथ्वी पर वापस लौट आई।
परीक्षण उड़ान के दौरान लगभग 300 सेंसर ने विभिन्न मिशन प्रदर्शन मानकों को रिकॉर्ड किया। इस दौरान तीन रिकवरी बोट भी तैनात की गई थी। इसरो ने कहा कि मानव को अंतरिक्ष में भेजे जाने की दशा में उन्हें सुरक्षित भेजना और वापस धरती पर लाना हमारी पहली प्राथमिकता है, और ऐसी दशा में हमें लाइफ सपोर्ट सिस्टम देना होगा। इसरो ने बताया कि यह मॉडयूल भारत के स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन में अहम भूमिका निभाएगा। इस परीक्षण में यह देखने की कोशिश की गई कि अंतरिक्ष यान की उड़ान के दौरान अप्रत्याशित घटना या दुर्घटना के वक्त क्रू को कैसे सुरक्षित बाहर निकाला जा सकता है।
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