इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया GSAT-30 संचार उपग्रह, देश में 5G तकनीक को देगा ताकत
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो/ISRO) ने संचार उपग्रह जीसैट-30 (GSAT -30) को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है।
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो/ISRO) ने संचार उपग्रह जीसैट-30 (GSAT -30) को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। इसरो का GSAT-30 को यूरोपियन हैवी रॉकेट एरियन-5 ईसीए शुक्रवार यानी 17 जनवरी को तड़के 2.35 मिनट पर दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट पर कौरो के एरियर प्रक्षेपण तट से छोड़ा गया। थोड़ी देर बाद GSAT-30 से एरियन -5 VA251 का ऊपरी हिस्सा सफलतापूर्वक अलग हो गया। यह इसरो का 2020 का पहला मिशन है।
बता दें कि जीसैट-30 संचार उपग्रह इनसैट-4ए की जगह लेगा, जिसे साल 2005 में लॉन्च किया गया था। दरअसल, इनसैट सैटेलाइट-4 की उम्र अब पूरी हो रही है और इंटरनेट टेक्नोलॉजी में तेजी से बदलाव आ रहा है। इस वजह से ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी, इसी जरूरत को पूरा करने के लिए इसरो ने GSAT-30 लॉन्च किया है। जीसैट-30 इसरो द्वारा डिजाइन किया हुआ और बनाया गया एक दूरसंचार उपग्रह है। यह इनसैट सैटेलाइट की जगह काम करेगा। इससे सरकारी और प्राइवेट कंपनियों को संचार लिंक प्रदान करने की क्षमता बढ़ेगी। जीसैट-30 सैटेलाइट से भारत में संचार क्रांति आएगी।
15 सालों तक काम करेगा जीसैट-30
GSAT-30 सैटेलाइट का वजन करीब 3100 किलोग्राम है। यह लॉन्चिंग के बाद 15 सालों तक काम करता रहेगा। इसे जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया गया है। इसमें दो सोलर पैनल होंगे और बैटरी होगी जिससे इसे ऊर्जा मिलेगी। यह 107वां एरियन 5वां मिशन है। कंपनी के 40 साल पूरे हो गए हैं।
इन सेवाओं के लिए GSAT-30 का होगा इस्तेमाल
इसरो के मुताबिक, GSAT-30 के कम्यूनिकेशन पेलोड को अधिकतम ट्रांसपोंडर लगाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। सैटेलाइट का इस्तेमाल व्यापक रूप से वीसैट नेटवर्क, टेलीविजन अपलिंकिंग, टेलीपोर्ट सेवाएं, डिजिटल सैटलाइट खबर संग्रहण (डीएसएनजी), डीटीएच टेलीविजन सेवाओं के साथ जलवायु परिवर्तन को समझने और मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाएगा।
2020 में 10 सैटेलाइट्स लॉन्च करेगा इसरो
इसरो ने इस साल करीब 10 सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की योजना पर काम कर रहा है। वर्तमान में इसरो के पास आदित्य-एल1 उपग्रह सहित 25 उपग्रह लॉन्च करने की योजना है। आदित्य एल1 मिशन को मध्य 2020 तक लॉन्च करने की योजना है। यह मिशन सूर्य पर अध्ययन करने वाला पहला भारतीय मिशना होगा। यह मिशन पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन को समझने और भविष्यवाणी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसरो ने पिछले साल छह लॉन्च वाहन और सात सैटेलाइट मिशन लॉन्च किए थे।
जानिए GSAT-30 की खूबियां
GSAT-30 लॉन्च होने से देश की संचार सेवाएं बेहतर होंगी। इंटरनेट की स्पीड बढ़ेने के साथ ही इसकी सहायता से देश में नई इंटरनेट टेक्नोलॉजी लाई जाने की उम्मीद है। इस उपग्रह की सहायता से देश की संचार प्रणाली, टेलीविजन प्रसारण, सैटेलाइट के जरिए समाचार प्रबंधन, समाज हेतु काम आने वाली भूआकाशीय सुविधाओं, मौसम संबंधी जानकारी और भविष्यवाणी, आपदाओं की पूर्व सूचना और खोजबीन तथा रेस्क्यू ऑपरेशन में भी काफी इजाफा होगा। देश के पुराना संचार उपग्रह 'इनसैट सैटेलाइट' की उम्र अब पूरी हो रही है। देश में इंटरनेट की नई-नई टेक्नोलॉजी आ रही है। ऑप्टिकल फाइबर बिछाए जा रहे हैं। 5G तकनीक पर काम चल रहा है। इस वजह से ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी। जीसैट-30 सैटेलाइट इन्हीं आवश्यकताओं को पूरा करेगा।