भारत के लिए ISIS, साइबर हमला और चीन बड़े खतरे: अध्ययन
इसमें कहा गया कि आईएसआईएस कुल 18 देशों में शीर्ष खतरे में शामिल रहा। इस देशों में ज्यादातर यूरोप, पश्चिमी एशिया के और अमेरिका हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 44 प्रतिशत ने कहा कि चीन भारत के लिए खतरा पैदा करता है। खतरों की सूची में इसके बिल्कुल करीब साइबर हम
नई दिल्ली: एक ताजा पीईडब्ल्यू शोध सर्वेक्षण में आज कहा गया कि भारत के लोग आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट और जलवायु परिवर्तन को अपने देश के लिए प्रमुख खतरा मानते हैं जबकि चीन को देश के लिए तीसरा शीर्ष खतरा माना जाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में सर्वेक्षण में शामिल 66 प्रतिशत लोगों ने इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) को शीर्ष खतरा माना जबकि 47 प्रतिशत ने कहा कि वे वैश्विक जलवायु परिवर्तन को प्रमुख खतरा मानते हैं। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
इसमें कहा गया कि आईएसआईएस कुल 18 देशों में शीर्ष खतरे में शामिल रहा। इस देशों में ज्यादातर यूरोप, पश्चिमी एशिया के और अमेरिका हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 44 प्रतिशत ने कहा कि चीन भारत के लिए खतरा पैदा करता है। खतरों की सूची में इसके बिल्कुल करीब साइबर हमला 43 प्रतिशत रहा।
गौरतलब है कि चीन और भारत के जवान सिक्किम सेक्टर के डोकलाम क्षेत्र में टकराव की स्थित में हैं। इस क्षेत्र पर भारत का सहयोगी देश भूटान दावा करता है।
क्या है डोकलाम विवाद?
दोनों देशों के बीच सिक्किम क्षेत्र में बढ़ते तनातनी का मुख्य वजह भारतीय जमीन के उस टुकड़े को माना जा रहा है जिसे 'चिकन नेक' के नाम से जाना जाता है। चीन, भारत को इस क्षेत्र में घेरना चाहता है इसलिए वह सिक्किम-भूटान और तिब्बत के मिलन बिंदु स्थल (डोका ला) तक एक सड़क का निर्माण करने की कोशिश कर रहा है जिस पर भारत को आपत्ति है। इस सड़क का निर्माण वह भूटान के डोकलाम पठार में कर रहा है। 'चिकन नेक' का अर्थ है मुर्गे की गर्दन और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लेकिन कमज़ोर क्षेत्रों को 'चिकन नेक' के नाम से जाना जाता है।
क्यों अहम है डोकलाम का पठार?
269 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल का यह इलाका भारत,चीन और भूटान की सीमाओं के पास है। यही वह इलाका है जहां तीनों देशों की सीमाएं मिलती हैं। 1914 की मैकमोहन रेखा के मुताबिक यह इलाका भूटान के अधिकार में है। जबकि चीन इस लाइन को मानने से ही इनकार करता है। और वक्त-वक्त पर उसके सैनिक भूटान की सीमा का अतिक्रमण करते रहते हैं।
डोकलाम के पठार की रणनीतिक रूप से इस इलाके में बेहद अहमियत है। चंबी घाटी से सटा हुआ होने के चलते चीन इस पठार पर अपनी सैन्य पोजीशन को मजबूत करना चाहता है। चीन की कोशिश है कि इस इलाके में सड़कों का जाल बिछाया जाए ताकि भारत के साथ युद्ध की स्थिति में जल्द से जल्द इस इलाके में सैन्य मदद पहुंचाई जा सके। डोकलाम के पठार पर चीन की इसी मंशा ने भारत को सख्त रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है।
चुंबी घाटी का चक्कर
रक्षा जानकारों के मुताबिक चुंबी घाटी में चीन की गतिविधियां भारत के लिए चिंता का सबब है। यह मानचित्र में हंसिए की तरह का हिस्सा है जो भारत के चिकन नेक से ठीक ऊपर स्थित है। अभी इस क्षेत्र में भू-सामरिक लिहाज से भारत बेहतर स्थिति में है लेकिन डोकलाम से डोका ला तक सड़क निर्माण कर चीन, इन देशों के मिलन बिंदु स्थल तक पहुंचकर भारत को घेरना चाहता है।
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