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Hindi News भारत राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल से स्नेहा मोहनदास का पहला ट्वीट, जानें क्या कहा

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल से स्नेहा मोहनदास का पहला ट्वीट, जानें क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अपना सोशल मीडिया अकाउंट महिलाओं के हवाले कर दिया है।

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अपना सोशल मीडिया अकाउंट महिलाओं के हवाले कर दिया है। उन्होंने पहले ही ऐलान कर दिया था कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को महिलाओं को सौंपेंगे। रविवार को ट्विटर पर @narendramodi हैंडल से सबसे पहले स्नेहा मोहनदास नाम की महिला ने ट्वीट किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अकाउंट से एक वीडियो ट्वीट करते हुए बताया कि वह फूड बैंक की संस्थापक हैं।

चेन्नई में बाढ़ आने से पहले की थी फूड बैंक की स्थापना
स्नेहा ने बताया कि उन्होंने 2015 में तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में बाढ़ आने से पहले फूड बैंक की स्थापना की थी। इसका मुख्य मकसद भूख से लड़ना और भारत को एक ऐसा देश बनाना है जहां कोई भूखा नहीं रहे। स्नेहा ने यह भी बताया कि उन्हें फूड बैंक खोलने की प्रेरणा कहां से मिली। वीडियो में उन्होंने कहा, 'दादाजी के जन्मदिन और विशेष मौकों पर उनकी मां बच्चों को घर बुलाकर खाना बांटती थीं। मैंने इस परंपरा को कायम रखने के बारे में सोचा।'


फेसबुक से भी मिली फूड बैंक के काम में मदद
स्नेहा ने बताया कि वह फेसबुक पर लोगों से जुड़कर फूड बैंक के लिए काम करती हैं। उन्होंने फेसबुक पर फूड बैंक-चेन्नई नाम से एक पेज बनाया जहां उन्होंने लोगों से अपने-अपने राज्यों, शहरों के नाम से फेसबुक पेज और फूड बैंक बनाने की अपील की। स्नेहा की अपील का बेहद सकारात्मक असर हुआ और भारत में इस तरह के फूड बैंक 18 जगहों पर खुल गए। इसके साथ ही एक फूड बैंक साउथ अफ्रीका में भी खुला। 

यूं होता है स्नेहा मोहनदास के फूड बैंक का काम
फूड बैंक के स्वयंसेवक खाने का कच्चा सामान लोगों से दान में लेते हैं और फिर भोजन बनाकर गरीबों के बीच बांटते हैं। वहीं, कुछ लोग अपने-अपने घरों में अपने परिवार के खाने की जरूरत से ज्यादा भोजन तैयार करते हैं और ताजा खाना फूड बैंक में जमा करा देते हैं। इससे उन लोगों को काफी मदद मिल जाती है जो दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करते रहते हैं।

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